गोंदिया

Published: Jun 22, 2021 02:17 AM IST

Suicidesकोरोना लाया आत्महत्याओं का दौर, जिले में 170 लोगों ने मौत को गले लगाया

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
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गोंदिया. कोरोना ने जीने के मायने बदल दिए हैं. पिछले डेढ़ वर्ष से कोरोना संक्रमण के चलते घोषित लाकडाउन से उद्योग, व्यापार ठप थे. जिससे अनेक लोगों का रोजगार भी छिन गया, रोज कमाकर खाने वालों के सबसे अधिक हाल-बेहाल हो गए. रोजगार नहीं होने से और लोगों का रोजगार छिन जाने से कई परिवारों के समक्ष जीवन निर्वाह का गंभीर संकट निर्माण हो गया. उद्योग व्यापार ठप होने से बैंक के कर्ज की किस्ते कैसे चुकाएं, इन सभी बातों के तनाव व चिंता में निराश होकर जिले के 170 लोग आत्महत्या कर चुके हैं. यह संख्या कोरोना के कारण बीते वर्ष हुए लॉकडाउन से लेकर इस लॉकडाउन के बीच के समय में सामने आई है.

इसमें कोरोना काल में ही सबसे अधिक आत्महत्याएं दर्ज हुई हैं. जीवन में निराश होने वाले संबंधित व्यक्ति को मानसिक और आर्थिक आधार देने की जरूरत होती है. उनके मन से नकारात्मक भाव नष्ट कर सकारात्मकता निर्माण करने की आवश्यकता होती है. कोरोना का संक्रमण अब नियंत्रण में आ गया है. फिर भी उसका परिणाम लंबी अवधि तक मायम रहेगा. आज भी न जाने कितनी बड़ी संख्या में अनेक लोग कोरोना काल के संकट से उबर नहीं पाए हैं. इसी वजह से निराश होकर अनेक लोगों ने आत्महत्या करने जैसा कदम उठाकर अपनी जान गवां दी.

ये दिन जाएंगे, अच्छा वक्त आएगा 

मानसिक रोग विशेषज्ञ डा. लोकेश चिरवतकर के अनुसार सतत आने वाले संकट और परिवार की चिंता से अनेक बार निराशा निर्माण होती है. इससे अनेक लोग आत्महत्या जैसे कदम  उठाते हैं. ऐसे समय मानसिक दृष्टि से त्रस्त होने वाले परिवार और निकट के मित्रों, आर्थिक हो या मानसिक  लेकिन उन्हें आधार देने की जरूरत होती है. संकट में हम सब साथ हैं, यह वेदनापूर्ण दिन भी जल्द निकल जाएंगे, अच्छे दिन आएंगे ऐसे सकारात्मक विचार निर्माण करने की जरूरत हैं. निराशा का सामना करने वाले व्यक्ति के सामने हमेशा सकारात्मक व्यवहार व उसके आजू बाजू का परिसर कैसे प्रफुल्लित  रहेगा इसका भी ध्यान रखने की जरूरत है.

मानसिक तनावग्रस्तों को सहारा देने की जरूरत

लाकडाउन से व्यापार बंद थे. इसी में कोरोना का दूसरा चरण आने से पुन: दो माह लाकडाउन किया गया है. जिससे अनेक लोगों पर बेरोजगार होने की नौबत आ गई. दो वक्त के भोजन का प्रश्न निर्माण हो गया. घर पर चूल्हा कैसे जलेगा, इसकी चिंता सताने लगी. लेकिन अब हालात बदलकर पहले की तरह हो रहे हैं. उद्योग व्यापार की गाड़ी भी लाइन पर आ रही है. जिससे पुन: नई आशा और उम्मीद से कार्य शुरू किया जाना चाहिए. आर्थिक संकट में फंसे तथा कोरोना से रोजगार गवाने वालों को आधार देने की जरुरत है. सतत मानसिक तनाव में रहने वाले व्यक्ति आत्महत्या करने का निर्णय लेते हैं, ऐसे व्यक्तियों को समझाकर उन्हें आत्मबल देने की जरूरत है.