गोंदिया

Published: Feb 07, 2023 10:31 PM IST

Kachargarh Yatraकचारगढ़ में कोयापुणेम महोत्सव का हुआ समापन, गोंडी धर्म, कला और संस्कृति के हुए दर्शन

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

सालेकसा. आदिवासी गोंड समुदाय के आदि देवता माने जाने वाले प्रसिद्ध श्रद्धा स्थान कचारगढ़ में माघ पूर्णिमा पर पांच दिनों तक कोयापुणेम महोत्सव का आयोजन किया गया. देश के कोने- कोने से गोंड आदिवासी समुदाय ने अपने आराध्य इस्ट देव के दर्शन किए.  पांच दिनों तक गोंडी धार्मिक परंपराओं, बोलियों, पूजा अनुष्ठानों, नृत्यों, रीति- रिवाजों, कला और संस्कृति को प्रदर्शित किया गया.

देश के करीब 18 राज्यों से गोंडी श्रद्धालु अपने पूर्वजों को याद करने यहां पहुचे थे. इसमें छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, तेलंगाना, बिहार, झारखंड, उड़ीसा, बंगाल, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश के साथ महाराष्ट्र के आदिवासी श्रद्धालुओं की संख्या अधिक है. इसके अलावा, दिल्ली, उत्तराखंड, असम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मणिपुर, कर्नाटक, नागालैंड, गुजरात सहित लगभग 18 राज्यों के गोंडी समुदाय यहां कोया पूनेम महोत्सव  में शामिल हुए. आदिवासी समाज के विभिन्न राज्य से आदिवासी समाज के अनेक वरीष्ठ अधिकारी, मंत्री गण जनप्रतिनिधि इस महोत्सव में शामील हुए.

पुरे महोत्सव में अथांग जनसमुदाय के साथ करिबन दस से ग्यारह लाख लोगों ने माथा टेका. इस पाच दिवसीय महोत्सव में शासन, प्रशासन का योगदान रहा. जिसमें पुलिस, स्वास्थ्य, राजस्व, तहसील, वन, विद्युत,  पंचायत विभाग ने सेवाएं दी. संपूर्ण महोत्सव में विविध रंगारंग व्यापार छोटे से बडे व्यवसाय को रोजगार का साधन मिला. जिसमे गोंडी साहित्य, कला, बुक स्टॉल, पोशाख, आयुर्वेदिक जडीबुटी आदि ने महोत्सव में चार चांद लगाए.

कचारगड़ देवस्थान ट्रस्ट व आदिवासी समाज के एक हजार स्वयंसेवकों ने निस्वार्थ सेवाएं प्रदान की. इस पाच दिवसीय राष्ट्रीय गोंडवाना महा अधिवेशन का समापन 7 फरवरी को  मुरसेनाल जागतिक गोंड सगामांधी आनंद मडावी की हस्ते व पूर्व सरपंच जमाकुडो लालूराम ऊईके की अध्यक्षता में संपन्न हुआ.

इस महोत्सव को सुचारू रूप से चलाने, व्यवस्था बनाए रखने के लिए  पारिकोबार लिंगो कली कंकाली पेनठाना कचारगड समिति के अध्यक्ष दुर्गाप्रसाद कोकोडे, उपाध्यक्ष रमनलाल सलाम, सहसचिव मनिष पुसाम, कोषाध्यक्ष बारेलाल वरखडे, रामेश्वर पंधरे, सकुंतला पराते, सुरेश पराते व सभी आदिवासी समाज बंधुओं ने भी सेवाएं दी.  

इस पाच दिवसीय महोत्सव को सफल बनाने में शासन प्रशासन सहित आदिवासी समाज के वरिष्ठ अधिकारी ,जनप्रतिनिधि व कार्यरत सभी स्वयं सेवकों ने प्रयास किया. अनेक राज्यों से श्रद्धालू पहुंचे, सभी के सहयोग से यह महोत्सव सूचारू रूप से संपन्न हुआ. संस्था की ओर से सभी का आभार व्यक्त करता हुं.

दुर्गाप्रसाद कोकोटे (अध्यक्ष कचारगड देवस्थान ट्रस्ट धनेगांव)