गोंदिया

Published: Jul 27, 2021 11:21 PM IST

Jaggeryशक्कर को छोड़ गुढ़ का उपयोग करने लगे लोग

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

गोंदिया. कोरोना के मरीजों की संख्या अब जिले में काफी कम हो गई है. फिर भी लोगों के मन में संक्रमण को लेकर डर बना हुआ है. संक्रमण ने अब सभी को अपने स्वास्थ्य के प्रति सावधान कर दिया है. जिसकी वजह से अधिकाधिक नागरिकों ने शरीर को लाभ देने वाले पदार्थो की ओर रूख किया है.

इसी में अब शक्कर को छोड़कर गुढ़ का उपयोग करने का चलन बढ़ गया है. जिससे शक्कर की अपेक्षा गुढ़ का भाव अधिक हो गया है. पूर्व काल में घर घर में गुढ़ की मांग हो रही थी. कालानुरूप परिवर्तन होने से गुढ़ का उपयोग कम हो गया.

गुढ़ गुणधर्म में गर्म  

शक्कर कम कीमत में मिलने से उसका उपयोग तो बढ़ा पर गुढ़ की मांग घट गई. लेकिन औषधी गुणधर्म वाले गुढ़ को पसंद किया जाने लगा. गुढ़ यह गुणधर्म में गर्म समझा जाता है. उसका आज भी अनेक पदार्थो में उपयोग किया जाता है. विशेषकर लड्डु में उसका उपयोग अधिक होता है. चाय व अन्य सब्जियों में भी गुढ़ का उपयेाग होता है.

जिससे शक्कर और गुढ़ की समतुल्य मांग दिखाई दे रही है. गत 20 वर्षो के गुढ़ व शक्कर के भाव पर नजर डालने पर उसमें डबल वृद्धि दिखाई देती है. वर्तमान में गुढ़ के भाव शक्कर की अपेक्षा 20 से 25 रू. प्रति किलो अधिक है. इसमें गुढ़ की मांग कम नहीं हुई है. अपेक्षा अनुसार गुढ़ बनाने की पद्धति में बहुत कुछ परिवर्तन नहीं हुआ है.

इसके बावजूद शुद्ध रूप में मिलने वाले गुढ़ की अधिक मांग है. जिसकी 5 से 10 रू. अधिक कीमत है. उल्लेखनीय है कि गोंदिया तहसील के कासा, काटी, बनाथर, डांगोरली व दासगांव क्षेत्र में बड़ी संख्या में गुढ़ का उत्पादन किया जाता है. इसमें कुछ लोग वर्षो से परंपरागत गुढ़ बनाने का कार्य कर रहे है.