जलगांव

Published: Jun 01, 2022 06:21 PM IST

Kharif Seasonखरीफ फसल की तैयारी में जुटे किसान

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

रावेर : तहसिल क्षेत्र (Tehsil Area) के किसान खरीफ सीजन (Kharif Season) की खेती-किसानी की तैयारी में लग गए हैं। किसानों (Farmers) ने खेती में नगर, टिलर और अन्य कार्य करते हुवे दिखाई दे रहे है। कई खेतों में मानसून (Monsoon) पूर्व कार्य जोताई भी शुरू हो गई है। किसानों का कहना है, कि 15 जून के बाद मौसम को देखकर बोवाई का कार्य भी किया जाएगा किसान ट्रैक्टर (Tractor) से खेतों की जोताई (Plowing) कर रहे हैं। किसानों ने बताया कि बोवाई (Sowing) से पूर्व खेतों (Fields) की अच्छे से जोताई करना चाहिए। इससे खेतों में उगे खर-पतवार नष्ट हो जाते हैं और मिट्टी भुरभुरी हो जाती है, जो खरीफ सीजन में धान फसल के लिए उपयुक्त होती है। आगामी दिनों में यदि बारिश अच्छी हुई तो किसान बोवाई करने में जुट जाएंगे। इसके लिए सारी तैयारी की जा चुकी है। ज्यादातर किसान सोसाइटियों से धान और बीज संग्रह करने में जुटे हैं।  

मानसून के जल्द ही आगमन की उम्मीद में सभी किसान अब खेत की ओर रुख करने लगे हैं। खेतों की साफ-सफाई और घुरूवा खाद डालने का कार्य जोरों पर है। नगर, टिलर की जुताई द्वारा खेतों के खर-पतवार को नष्ट करने का कार्य भी किसानों ने अपने हाथों में ले रखा है। मौसम को देखते हुए किसान खेत खलिहान में पड़े पशु चारे को वर्षा के पूर्व सुरक्षित करने इन दिनों रखने का कार्य तेजी से कर रहे हैं। किसान बरसात में जानवरों को सूखा चारा उपलब्ध कर जमा करके रखवा रहे हैं। तरह-तरह की रासायनिक खाद बाजार में होने के बावजूद गांव के किसान आज भी गोबर खाद का महत्व समझ रहे हैं। जिसकी वजह से गोबर कचरे से तैयार खाद खेतों में डाल खेतों को उपजाऊ बनाने का कार्य भी जोर-शोर से किया जा रहा है। उन्नत बीज और रासायनिक खाद की किल्लत से वाकिफ किसान अभी से इसका इंतजाम कर रहे हैं। जिसकी वजह से सोसाइटियों में किसानों की आवाजाही बढ़ गई है।

ट्रैक्टर से की जा रही जोताई 

तहसिल में हर दिन ट्रैक्टर से खेती में जोताई की ज रही है। तहसिल का किसान आपणा ज्यादा वक्त अभी खेती में गुजर रहा है। वक्त पर खेती किसानी होती है। तो वक्त पर बोवाई भी हो जाएगी। 

बरीश पूर्व घरों की हो रही मरम्मत

तहसिल में ग्रामीण बारिश से पूर्व अपने कच्चे मकानों के छप्पर की मरम्मत में भी व्यस्त दिख रहे हैं। ग्रामीण इलाकों में कच्चे मकानों का खपरैल टूट-फूट जाता है, जिसकी मरम्मत बारिश पूर्व करना अनिवार्य हो जाता है। ग्रामीण अपने-अपने कच्चे मकानों की मरम्मत में जुटे है।