मुंबई

Published: Sep 27, 2021 01:21 PM IST

Bharat Bandh'भारत बंद' का मुंबई में नहीं कोई असर, खुली दुकानें, चली गाड़ियां

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
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मुंबई. मुंबई (Mumbai) में सोमवार को वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों में कामकाज और स्थानीय परिवहन सेवाएं सामान्य रहीं और केंद्र के तीन कृषि कानूनों (Farm Laws) के खिलाफ किसान यूनियनों द्वारा बुलाए गए भारत बंद (Bharat Bandh) के मद्देनजर मुंबई पुलिस ने भी प्रमुख चौराहों और सड़कों पर अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात नहीं किया है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। कांग्रेस के कार्यकर्ता हाथों में तख्तियां लिए अंधेरी और जोगेश्वरी जैसी कुछ जगहों पर जमा हो गए और कृषि कानूनों के खिलाफ नारेबाजी की। इसके अलावा शहर में बंद का अब तक कोई असर नहीं दिखा।

एक पुलिस अधिकारी के अनुसार मुंबई में अब तक कोई अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात नहीं किया गया है, लेकिन राजनीतिक दलों की स्थिति और कार्यक्रमों के आधार पर बाद में अतिरिक्त पुलिस कर्मियों की तैनाती पर निर्णय लिया जा सकता है। उन्होंने कहा, ‘‘अब तक कोई अतिरिक्त बल तैनात नहीं किया गया है, लेकिन स्थानीय आवश्यकता के अनुसार इसे तैनात किया जा सकता है।”

पुलिस ने प्रमुख चौराहों और सड़कों पर अवरोधक भी नहीं लगाए हैं, जो बंद के दौरान आमतौर पर एक सामान्य कार्रवाई होती है और अब तक जिले के बाहर से कोई अतिरिक्त सुरक्षा बल नहीं बुलाया गया है। अधिकारियों ने बताया कि शहर में अब तक कोई बड़ा प्रदर्शन या कोई अप्रिय घटना नहीं हुई है। उन्होंने बताया कि दुकानें और अन्य व्यावसायिक प्रतिष्ठान हमेशा की तरह खुले रहे और यातायात सामान्य रहा। गतिरोध को तोड़ने और किसानों के विरोध को समाप्त करने के लिए केंद्र सरकार और किसान यूनियनों ने अब तक 11 दौर की बातचीत की है, जो बेनतीजा रही। आखिरी बैठक 22 जनवरी को हुई थी। दिल्ली में 26 जनवरी को किसानों के प्रदर्शन के तहत ट्रैक्टर रैली के दौरान व्यापक हिंसा के बाद केंद्र सरकार और किसान यूनियनों के बीच बातचीत फिर से शुरू नहीं हो पाई है।

तीन कृषि कानूनों किसान उत्पाद व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अधिनियम, 2020, मूल्य आश्वासन किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) समझौता और कृषि सेवा अधिनियम, 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम 2020 को पिछले साल सितंबर में संसद द्वारा पारित किया गया था। किसान समूहों ने आरोप लगाया है कि ये कानून ‘मंडी’ और एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) खरीद प्रणाली को समाप्त कर देंगे और किसानों को बड़े कॉरपोरेट घरानों की दया पर रहना होगा। हालांकि, सरकार ने इन आशंकाओं को गलत बताते हुए उन्हें खारिज कर दिया और कहा कि इन कदमों से किसानों की आय बढ़ाने में मदद मिलेगी।