मुंबई

Published: Jun 22, 2020 06:02 PM IST

मुंबईहेल्पलेस है वीवीएमसी का हेल्पलाइन नंबर

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

– निजी अस्पतालों की लूट पर लगाम नहीं

 -सिर्फ कागजों पर कोरोना मरीजों की मदद का कार्य

विरार. वसई- विरार मनपा प्रशासन एवं नेताओं से शिकायत के बावजूद क्षेत्र के निजी अस्पतालों द्वारा कोरोना मरीजों भारी भरकम बिल के जरिए लूट रुकने का नाम नहीं ले रही है. अस्पतालों की मनमानी बेहद असंवेदनशील है.इन अस्पतालों की लूट पर रोक नहीं लगी तो लोग बेमौत मरेंगे. ऐसी आशंका व्यक्त की जा रही है.अधिकारी एवं स्थानीय सत्ताधारी मनपा क्षेत्र में कोरोना संक्रमण को रोकने एवं मरीजों के उपचार को लेकर बड़े- बड़े दावे कर रहें हैंं. लेकिन इनके द्वारा इस मामले को लेकर युद्धस्तर पर किया जाने वाला कार्य सिर्फ कागजों पर ही पूरा होता नजर आ रहा है. 

वास्तविकता यह है कि यदि क्षेत्र में कोई व्यक्ति कोरोना संक्रमित हो गया तो उसकी मदद करने कोई नहीं आता. मनपा ने कोरोना मरीजों के लिए एक हेल्पलाइन नंबर जारी किया है, जो कभी लगता नहीं, अगर लग भी गया तो उस फोन को रिसीव करने के लिए जिस व्यक्ति को बैठाया गया है उसके पास मरीज को उचित सलाह देने तक की जानकारी नहीं होती. इसके पश्चात मनपा आयुक्त व अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ ही आरोग्य विभाग से जुड़े अधिकारियों का नंबर ज्यादातर बन्द ही मिलता है. यदि किसी का चालू भी रहा तो उसके पास फोन रिसीव करने या उसका जवाब देने का भी वक़्त नहीं रहता, परिणामस्वरूप अंत में मरीज थकहार कर स्वयं प्राइवेट में जांच व उपचार कराने को बाध्य होता है. ऐसे में यदि उसके पास धन की व्यवस्था नहीं है तो उसकी मृत्यु निश्चित है. ऐसा ही एक मामला नालासोपारा पूर्व के शिर्डी गाला नगर क्षेत्र से सामने आया है. पॉजिटिव मरीज को वीवीसीएमसी की मदद न मिलने की स्थिति में उसे मुंबई जाना पड़ा.

भगवती अस्पताल से मिली राहत

मरीज शिवकुमार पांडेय (38) के 15 वर्षीय बेटे ने बताया कि हमारे घर में मेरी मां बीमार है, जिसके कारण पूरा देखरेख मुझे ही करना पड़ रहा है.पिता को मैंने नालासोपारा पूर्व के अचोले स्थित विनायका अस्पताल में भर्ती कराया. जहां 3 दिन में किए गए उपचार के नाम पर 80 हजार का बिल वसूल किया, जबकि पैसा भरने के पश्चात उनका कोरोना टेस्ट का रिजल्ट पॉजिटिव आया. ऐसे में सवाल उठता है कि जब रिपोर्ट आई ही नहीं तो डॉक्टर इलाज किस चीज का कर रहें थे. इस मामले में हमने कुछ अपने परिचितों से मदद मांगी, जिन्होंने मनपा अधिकारी व अस्पताल के लोगों से बात करने का काफी प्रयास किया, लेकिन कुछ मदद नहीं मिली.  बाद में परिचितों की मदद से उन्हें भगवती अस्पताल में भर्ती कराया गया. जहांं अब वे खुद को पहले से बेहतर महसूस कर रहे हैंं.