मुंबई

Published: Aug 06, 2020 02:12 PM IST

मुंबईमैन्ग्रोव की बर्बादी के लिए मुंबई की बाढ़ जिम्मेदार : विशेषज्ञ

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

मुंबई. पर्यावरण कार्यकर्ताओं का कहना है कि अनियोजित निर्माण और मैन्ग्रोव की बर्बादी मुम्बई में हर साल बाढ़ के लिए जिम्मेदार है। तटीय सदाबहार वनस्पति को ‘मैन्ग्रोव’ कहा जाता है। शहर के पर्यावरणविद् देबी गोयनका ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि मैन्ग्रोव काफी पानी सोख लेते हैं लेकिन मुम्बई में बुनियादी ढांचे के विकास की आड़ में उन्हें नष्ट किया जा रहा है।

उन्होंने कहा, ‘‘ मैन्ग्रोव के नष्ट होने का मुख्य कारण यकीनन बाढ़ है, क्योंकि मैन्ग्रोव से ली गई जमीत अब बारिश के पानी को समुद्र में जाने से रोकती है। मैन्ग्रोव की पानी सोखने की क्षमता भी अब कम हो गई है।” उन्होंने दावा किया कि आज सबसे बड़ी समस्या सरकारी एजेंसियां है, जिनकी जिम्मेदारी मैन्ग्रोव का संरक्षण करना है लेकिन वे ‘‘बुनियादी ढांचे के विकास के नाम पर उन्हें बर्बाद कर रहे हैं’।

उन्होंने कहा, ‘‘ सड़क, ट्रांसमिशन लाइन, माल ढुलाई गलियारा बनाने के लिए मैन्ग्रोव द्वारा मुफ्त में मुहैया कराई जाने वाली प्राकृतिक अवसंरचना को बर्बाद किया जा रहा है।” गोयनका ने कहा, ‘‘ हमें जलवायु परिवर्तन, ग्लोबल वार्मिंग और समुद्र के स्तर में वृद्धि के इस युग में हमारी प्राथमिकताओं की गंभीरता से समीक्षा करने की आवश्यकता है। क्या हमें अधिक सड़कों की आवश्यकता है या हमें मैन्ग्रोव को बरकरार रखने की आवश्यकता अधिक है?”

इसी तरह की चिंता मैन्ग्रोव सोसाइटी ऑफ इंडिया (एमएसआई) जैसी एजेंसियों ने भी व्यक्त की। उसने अपनी 2019 की रिपोर्ट में कहा था कि महाराष्ट्र तट रेखा पर मैन्ग्रोव के बर्बाद होने के 75 मामले सामने आए हैं।(एजेंसी)