मुंबई

Published: Aug 12, 2020 11:29 PM IST

निर्णय मुंबई की सेस बिल्डिंगों में रहने वालों को राहत, जर्जर इमारतों का जल्द हो सकेगा पुनर्विकास

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

मुंबई. मुंबई शहर में म्हाडा की उपकर प्राप्त (सेस) बिल्डिंगों में रहने वाले लोगों के लिए अच्छी खबर है. जर्जर इमारतों का शीघ्र पुनर्विकास करने को लेकर सरकार ने म्हाडा अधिनियम में बदलाव करने का निर्णय लिया है. इसके तहत पुनर्विकास के काम को अधूरा छोड़ने अथवा काम शुरु नहीं किये गए परियोजनाओं को महाराष्ट्र गृहनिर्माण व क्षेत्रविकास प्राधिकरण (म्हाडा) अपने अधिकार में लेगी,और परियोजना के शुरुआती दिन से तीन साल के अंदर किराएदार निवासियों को घर उपलब्ध कराना अनिवार्य होगा.

  म्हाडा अधिनियम में बदलाव करने का निर्णय का प्रस्ताव बुधवार को मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की अध्यक्षता में हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में पेश किया गया था. मुंबई शहर में लगभग 14,500 सेस इमारतें हैं. जिसमें से अनेक बहुत अधिक जर्जर हो गई हैं. पुनर्विकास की परियोजनाएं प्रलंबित होने एवं बीच में बंद होने की वजह से उन इमारतों के किरायेदारों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.

बहुत सी पुनर्विकास की परियोजनाएं बंद पड़ी हैं

बहुत सी पुनर्विकास की परियोजनाएं बंद पड़ी हैं. निवासियों को किराया नहीं दिया जा रहा है. एनओसी की शर्तों का उल्लंघन किया गया है. मनपा की तरफ से 354 की नोटिस दिए जाने के बावजूद किसी तरह की कार्रवाई नहीं की गई है. 

म्हाडा अधिनियम में बदलाव करने का निर्णय

इस तरह के मामलों में कार्रवाई को लेकर म्हाडा अधिनियम, 1976 की धारा 2 (77) एवं धारा 95-अ में बदलाव किया जाएगा. इस बाबत प्रस्ताव विधानमंडल के समक्ष पेश किया जाएगा. बदलाव के तहत बिल्डिंग  मालिक,बिल्डर और म्हाडा के बीच विवादों को दूर करने के लिए गृहनिर्माण विभाग के प्रधान सचिव की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय कमिटी गठित की जाएगी. इसके पहले मुंबई की जर्जर इमारतों के विकास के लिए 8 विधायकों की समिति बनी थी और उसने अपनी रिपोर्ट सरकार को दी थी.