मुंबई

Published: Dec 17, 2023 08:20 PM IST

Salim Kuttaजानिए कौन है सलीम कुत्ता, 2016 से नहीं मिली है पैरोल, क्या है सुधाकर बडगुजर संग वीडियो का सच !

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
सुधीर शुक्ल@नवभारत 
मुंबई: महाराष्ट्र के शीतकालीन सत्र (Nagpur assembly session) में एक नाम सबसे ज्यादा चर्चा में रहा वो नाम है “सलीम कुता” (Salim Kutta) दरअसल बीजेपी विधायक नितेश राणे ने सलीम कुत्ता के साथ ठाकरे ग्रुप के सुधाकर बडगुजर (Sudhakar Badgujar) का एक वीडियो दिखाया। जिसमे सुधाकर सलीम के साथ डांस करते नज़र आ रहे हैं। इसके बाद इस बात पर चर्चा शुरू हो गई कि सलीम कुत्ता असल में कौन है। सलीम का ये अजीबोगरीब नाम कैसे पड़ा? आखिर दाऊद से दुश्मनी करके अपने आपराधिक जीवन की शुरुआत करने वाला सलीम कैसे दाऊद गैंग का खास गुर्गा बन गया?

शीतकालीन सत्र और आरोप
नागपुर शीतकालीन सत्र में बीजेपी विधायक नितेश राणे और आशीष शेलार ने शिवसेना के सुधाकर बडगुजर का सलीम कुत्ता के साथ डांस करते हुए एक वीडियो दिखाया और इस पर चर्चा शुरू हो गई। सलीम कुत्ता उर्फ मोहम्मद सलीम मीरा शेख, जिसे 1993 सीरियल ब्लास्ट मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी। उसका नाम नागपुर अधिवेशन के दौरान चर्चा में बना रहा। 

 

कैसे पड़ा नाम, कौन है सलीम कुत्ता ?
सलीम कुता का दरअसल असली नाम मोहम्मद सलीम मीरा शेख है। जो तमिलनाडु के तंजावुर जिले के कुट्टा गांव के रहने वाले है। उनका जन्म और पालन-पोषण मुंबई में हुआ। उसने पांचवीं कक्षा तक बॉम्बे के सेंट इग्नाटियस स्कूल में पढ़ाई की थी। गरीबी के कारण उसने 15 साल की उम्र में स्कूल छोड़ दिया। उसके खिलाफ पायधोनी, पलटन रोड, भायखला और कोलाबा पुलिस स्टेशनों में कई मामले दर्ज हैं। अपने शुरुआती क्राइम में कदम रखते ही वह पहले दाऊद इब्राहिम के गिरोह के सदस्यों से भिड़ चुका था। वो किसी को मारते वक्त इतना क्रूर हो जाता था कि उसके लोग उसे जंगली कुत्ता बोलने लगे। कालांतर में वो सलीम कुत्ता नाम से फेमस हो गया। उसके नाम से जुड़ी एक कहानी और भी है। उसके पैतृक गांव का नाम कुट्टा था। जिसे चिढाते हुए अपभ्रंश में कुत्ता हो गया। जो उसके नाम सलीम के साथ चिपक गया। 

 
वीडियो तब का है जब बीजेपी शिवसेना के साथ थी 
मोहम्मद सलीम मीरा शेख उर्फ सलीम कुत्ता फिलहाल पुणे की येरवडा सेंट्रल जेल में बंद है। उसे जेल के अंडा सेल में रखा गया है। सलीम को 2016 में येरवडा सेंट्रल जेल लाया गया था।  तब से उसे पैरोल नहीं मिली है। इससे पहले वह नासिक सेंट्रल जेल में था। पिछले कुछ वर्षों में वह कभी भी पैरोल पर नहीं गया था। लाजमी है वो तथाकथित वीडियो कुछ साल पहले का ही है। ऐसे में सवाल ये भी है कि यह वीडियो तबका है जब बीजेपी शिवसेना के साथ थी और तब से अगर वीडियो उनके पास है तो अब इसे क्यों दिखाया गया। 

खुद सलीम में नाम हटाने की दाखिल की थी याचिका
93 ब्लास्ट मामले की सुनवाई के दौरान नामित टाडा अदालत से उसने अनुरोध किया था कि अदालत के रिकॉर्ड से कुत्ता शब्द को हटा दिया जाए क्योंकि हिंदी में इसका मतलब कुत्ता होता है। विरोधियों के प्रति उसके क्रूर दृष्टिकोण के कारण अंडरवर्ल्ड हलकों में उसे “सलीम कुत्ता” के नाम से जाना जाता था। क्योंकि वह उन पर शिकारी कुत्ते की तरह हमला करता था। 

आतंकी मोहम्मद दौसा का था गुर्गा

सलीम 1993 के मुंबई बम विस्फोट मामले के मुख्य फरार आरोपी मोहम्मद दौसा के लिए काम करने वाले मॉड्यूल का प्रमुख था। वह गुजरात में तथाकथित हथियार अनलोडिंग में शामिल था। सलीम और उसके साथियों ने हथियार और आरडीएक्स इकट्ठा किया था। जिसके बाद मामले से जुड़े सह-अभियुक्तों को वितरित किया था। इस हथियार और आरडीएक्स विस्फोटक का इस्तेमाल 1993 के बम धमाकों में किया गया था। महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले में दीघे और शेखाड़ी समुद्र तटों पर हथियारों और गोला-बारूद की दो और लैंडिंग हुई थी। जिसे एक अन्य फरार आरोपी टाइगर मेमन ने अंजाम दिया था। ट्रायल कोर्ट ने सलीम को 1993 के सिलसिलेवार बम धमाकों की साजिश में शामिल होने और धमाकों में इस्तेमाल हथियार और गोला-बारूद बांटने का दोषी ठहराया था। 

कुत्ता अंडरवर्ल्ड से कैसे जुड़ा ?
1990 में उसकी मां बीमार पड़ गई। उन्हें चर्नी रोड के सैफी अस्पताल में भर्ती कराया गया। उस समय सलीम को पैसों की सख्त जरूरत थी। पुलिस भी उसका पीछा कर रही थी। जिससे अस्पताल में उसका मां से मिलना मुश्किल हो रहा था। उस दौरान वह अपने दोस्त अबू बकर से मिलने के लिए नाखुदा मोहल्ले में मुस्तफा दौसा उर्फ मुस्तफा मजनू के कार्यालय में गया था। उसने मुस्तफा को बताया कि वह किसी आपराधिक मामले में शामिल है। पुलिस उसकी तलाश कर रही है। मुस्तफा ने उसे अपने गिरोह में शामिल होने के लिए कहा और उसकी मां के इलाज के लिए उसे 5000 रुपये दिए। साथ ही उसके आपराधिक मामलों की निगरानी करने का भी वादा किया। तबसे वह दौसा के लिए काम करने लगा। 

सलीम की दाऊद इब्राहिम से कैसे हुई मुलाकात ?
दंगों के दौरान सलीम को गोली मारने का आदेश जारी कर दिया गया। इसलिए वह कुछ दिनों तक फिरोज के घर में छिपा रहा। जनवरी के अंत में मोहम्मद दौसा के सुझाव के अनुसार उसने दाऊद से मुलाकात की थी जिसने उसे सेल्टर देने में मदद की थी। जिसके बाद वह दाऊद से जुड़ गया था। वरिष्ठ आई पी एस पी. के. जैन ने नवभारत से बात करते हुए बताया, उस दौर में गुर्गों के निक नेम का एक चलन सा हो गया था। ये कई बार मजाक, कई बार उनकी खूबियों और कई बार शुरुआत में पुलिस की निगाह से बचने और धूल झोंकने के लिए किया जाता था। लेकिन ये नाम समय के साथ ऐसा फेमस हो जाता था कि लोग उसके असली नाम को ही भूल जाते थे।