नागपुर

Published: Mar 26, 2022 12:54 AM IST

Molesting Caseनाबालिग से छेड़खानी और जानलेवा मामले में दोषी को 10 वर्ष सश्रम कैद

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
प्रतीकात्मक तस्वीर

नागपुर. शौच गई 14 वर्षीय नाबालिग रिश्तेदार से छेड़खानी और इनकार करने पर धारदार हथियार से जानलेवा हमले मामले में आरोपी को सत्र न्यायालय ने दोषी करार देते हुए 10 वर्ष की सश्रम जेल और 3,000 रुपये का जुर्माना की सजा सुनाई. वहीं पोक्सो एक्ट में दोषी साबित होने पर 3 वर्ष की जेल और 1,000 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई गई. दोषी प्रेमनगर कांद्री माइन निवासी महेश शिवबालक रौतेल बताया गया है. 

6 वर्ष पहले का मामला

प्राप्त जानकारी के अनुसार मामला 20 मई 2016 का है. महेश और 14 वर्षीय पीड़िता रिश्तेदार है. पीड़िता अपने माता-पिता और छोटी बहन के साथ जिला ग्रामीण पुलिस अंतर्गत कांद्री माइन परिसर में रहती है. उसके माता-पिता मजदूरी करते हैं. घटना के दिन सुबह करीब 7 बजे वह शौच करने एक घर के पास  मैदान में गई. लौटते समय रास्ते में उसे महेश मिला और अकेली देखकर आरोपी ने उसका हाथ पकड़कर जबरन अपने साथ चलने को कहा. पीड़िता ने इसका विरोध किया तो महेश ने अपने पास रखे सत्तु से उसकी गर्दन, दाहिने कंधे पर, हाथ के पंजे और कान पर मारा. इससे पीड़िता बुरी तरह जख्मी होकर वहीं गिर पड़ी. डर के मारे महेश वहां से भाग गया. हालांकि कुछ लोगों ने उसे भागते हुए देख लिया.पीड़िता पर हमले की खबर आग कर तरह फैली और कुछ ही देर में वहां कई लोग जमा हो गया. जैसे-तैसे पीड़िता को पहले स्थानीय सरकारी हॉस्पिटल और फिर एंबुलेंस से नागपुर मेडिकल में भर्ती कराया गया. 

मिली कड़ी सजा

पुलिस ने महेश को आरोपी बनाते हुए छेड़खानी, जान लेवा हमला और पोक्सो समेत विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज किया. महेश को घटना के अगले दिन ही गिरफ्तार कर लिया गया. सघन जांच और गवाहों के बयानों के आधार पर सेशन कोर्ट में चार्जशीट फाइल की. सारे गवाहों और बयानों के साथ पुलिस द्वारा जब्त विभिन्न सबूतों के आधार पर करीब 6 वर्ष से चली सुनवाई के बाद सेशन कोर्ट ने महेश को दोषी करार दिया. जानलेवा हमले के मामले में उसे 10 वर्ष की सश्रम कैद और 3,000 रुपये का दंड सुनाई. वहीं विनयभंग और पोक्सो एक्ट के मामले में 3 वर्ष की कैद और 1,000 रुपये के आर्थिक दंड की सजा दी. साथ ही दोनों मामलों में आर्थिक दंड न भरने पर 3-3 महीने अतिरक्त जेल की सजा सुनाई. पीड़िता की ओर से सरकारी वकील रश्मि खापर्डे जबकि बचाव पक्ष की ओर से एडवोकेट गंगोत्री ने पैरवी की.