नागपुर

Published: Dec 17, 2021 04:03 AM IST

Ambazari Gardenअंबाझरी आते हैं, निराश होकर जाते हैं, महीनों से लगा है गेट पर ताला

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

नागपुर. सिटी के सबसे सुंदर व बड़े अंबाझरी उद्यान में पिछले 3-4 महीनों से ताला जड़ा हुआ है. इसकी जानकारी शहर के आम नागरिकों को नहीं है. वे शहर के दूरस्थ इलाकों से परिवार-बच्चों सहित यहां घूमने आते हैं लेकिन निराश होकर लौटना पड़ता है. कैब या टैक्सी से पैसे खर्च कर आने के बाद भी उन्हें उद्यान में भीतर जाने नहीं मिलता. बच्चों का चेहरा उदास हो जाता है.

बंद उद्यान देख उनका उत्साह और खुशी काफूर हो जाती है. वे गेट के बाहर की कुछ देर बैठकर फिर किसी और उद्यान की ओर निकल पड़ते हैं. पैरेन्ट्स भी झल्ला उठते हैं. इस उद्यान के उद्धार के लिए मनपा ने पहले एमटीडीसी के सुपुर्द किया था लेकिन एमटीडीसी ने कोई काम नहीं किया तो मनपा के जिम्मे आ गया. उद्यान विभाग के अधिकारी भी नहीं बता पा रहे हैं कि यह कब आम जनता के लिए खोला जा सकेगा. जनसमस्या निवारण संघर्ष समिति के महासचिव एनएल सावरकर ने आरोप लगाया कि जनता को अंधेरे में रखकर उद्यान को बंद कर दिया गया है. 

केवल मॉर्निंग वाक के लिए खुलता है

सावरकर ने बताया कि सुबह 5.30 से 7.30 बजे तक मॉर्निंग वाक के लिए ही इसे खोला जा रहा है. पहले शेष समय के लिए टिकट लेकर भीतर जाने दिया जाता था. इससे मनपा को भरपूर आय हुआ करती थी. अब तो पिछले करीब 2-3 वर्षों से इसे बंद कर रखा है. आय भी बंद हो गई है. जनप्रतिनिधि जनता को गुमराह कर रहे हैं और मनपा को इसकी चिंता ही नहीं है. यहां आने वाले बच्चों को भीतर जाने नहीं मिलता. दूर-दूर से पैसा खर्च कर लोग रोज ही आते रहते हैं और निराश होकर लौटना पड़ता है. संघर्ष समिति के अध्यक्ष प्रभाकर मारपकवार, कार्याध्यक्ष वीपी देशमुख व पदाधिकारियों व नागरिकों ने उद्यान को जल्द से जल्द खोलने की मांग की है ताकि शहर के नागरिकों को झील के किनारे बसे इसे नैसर्गिक सौंदर्य से भरे उद्यान में घूमने-खेलने का आनंद मिल सके.

गेट के आसपास में काटते हैं समय

यहां सुबह से शाम तक लोग आते ही रहते हैं लेकिन उद्यान को बंद देख मायूस हो जाते हैं. दिन के समय में अधिकतर युवा जोड़े और कॉलेज के बच्चे आते हैं. उद्यान बंद मिलता है तो आसपास की जगहों पर बैठकर ही समय काटते हैं. बताते चलें कि तत्कालीन भाजपा सरकार के समय इस उद्यान को शेगांव के आनंद सागर की तर्ज पर विकसित करने की योजना बनी थी. उद्यान की कुछ जमीन को एमटीडीसी को दिया गया था लेकिन कोई काम आगे नहीं बढ़ा. एक समय था जब यहां लेक पर बोटिंग हुआ करती थी. उद्यान में लेक के किनारे वाले परिसर में बच्चों व बड़ों सभी के मनोरंजन के लिए विविध प्रकार से झूले भी लगाए गए थे. खानपान के लिए रेस्टोरेंट आदि की व्यवस्था भी थी. अब तो इस उद्यान को ही ताला बंद कर दिया गया है.