नागपुर
Published: Sep 29, 2021 11:19 PM ISTAPMC ElectionAPMC चुनाव : दखलंदाजी करने से इनकार
- मतदाता सूची को चुनौती देने वाली याचिका हाई कोर्ट ने की खारिज
नागपुर. हाई कोर्ट के आदेशों के अनुसार अब वर्ष 2021 के बाद एपीएमसी के चुनाव होने जा रहे हैं जिसके लिए याचिका लंबित रहते ही राज्य सरकार की ओर से मतदाता सूची तैयार करने की की प्रक्रिया शुरू कर दी गई थी. कृषि उत्पन्न बाजार समिति में मतदान के लिए तैयार हुई सूची में नाम नहीं होने पर संबंधित अधिकारियों के पास आवेदन तो किया गया किंतु विपरीत आदेश जारी होने पर इसे चुनौती देते हुए बकरा व्यापारी मोहम्मद फहीम मो. गौस, मो. अलीम सैलानी मो. गौर और बंसीलाल दुर्गे की ओर से हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया.
याचिका पर सुनवाई के बाद न्यायाधीश अविनाश घारोटे ने चुनाव प्रक्रिया शुरू होने से अब इसमें दखलंदाजी करने से इनकार कर याचिका खारिज कर दी. याचिकाकर्ता की ओर से अधि. डी.बी. वलथारे और सरकार की ओर से अधि. के.एल. धर्माधिकारी ने पैरवी की.
अंतिम प्रारूप से पहले किया था आवेदन
याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे वकील ने कहा कि कृषि उत्पन्न बाजार समिति के चुनाव की घोषणा के साथ ही मतदाता सूची तैयार करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई. घोषणा के अनुसार तारीखों का ऐलान भी किया गया था जिसके अनुसार जिला चुनाव अधिकारी तथा जिला उपनिबंधक, सहकारी संस्था के पास मतदाता सूची के अंतिम प्रारूप की घोषणा होने से पहले आवेदन कर दिया था. किंतु जिला उपनिबंधक ने 2 सितंबर 2021 को उनके आवेदन को सिरे से नकार दिया. साथ ही मतदाता सूची में शामिल करने से इनकार कर दिया.
देर से खटखटाया अदालत का दरवाजा
सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया कि चुनाव प्रक्रिया काफी पहले शुरू हो गई. 7 सितंबर 2021 को अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित की जा चुकी है. यहां तक कि 26 सितंबर तक इच्छुक प्रत्याशियों के नामांकन पत्र दाखिल करने की अंतिम तिथि भी खत्म हो गई, जबकि सुनवाई के लिए याचिका अब आयी है.
इसके बाद अदालत ने कहा कि प्रक्रिया काफी आगे बढ़ गई है जिससे अब इस संदर्भ में किसी तरह के आदेश जारी करना संभव नहीं है. इससे अदालत ने याचिका का निपटारा कर दिया. साथ ही अदालत ने बकरा मंडी दलाल, व्यापारी तथा अड़त्या के रूप में एपीएमसी की मतदाता सूची में नाम दर्ज करने के लिए चुनावी प्रक्रिया पूरी होने के बाद कानून और नियमों के आधार पर संबंधित अदालत के समक्ष अपना पक्ष रखने की स्वतंत्रता भी प्रदान की.