नागपुर

Published: Sep 17, 2020 12:39 AM IST

नागपुरमेडिकल, मेयो के 183 पीजी डाक्टरों की नियुक्ति

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

नागपुर. मनपा के पास डॉक्टरों की कमी है. इस बीच मेडिकल और मेयो में स्नातकोत्तर अंतिम वर्ष के परीक्षा दे चुके 183 निवासी डाक्टर जल्द ही मनपा को उपलब्ध होंगे. डॉक्टरों को भविष्य के लिए एक वर्ष तक वरिष्ठ निवासी डॉक्टर के रूप में सेवा देना अनिवार्य होता है. लेकिन मनपा उन्हें बतौर चिकित्सा अधिकारी तीन महीने के लिए नियुक्त करेगा, इससे भले ही निवासी डाक्टरों के एक वर्ष के करियर को नुकसान होगा, लेकिन मनपा अस्पतालों में डॉक्टर मिलने से नागरिकों को बड़ी राहत मिलेगी. सिटी में हर दिन 1,500 से अधिक नए मामले आ रहे हैं. उनमें से लगभग 10 प्रतिशत को ऑक्सीजन के साथ वेंटिलेटर की आवश्यकता हो सकती है.

संक्रमितों को नहीं किया जा रहा भर्ती
वर्तमान में सिटी में सरकारी और निजी अस्पतालों में लगभग 3,500 से ज्यादा मरीज भर्ती हैं और कई बार गंभीर रूप से बीमार मरीजों को इलाज के लिए बेड भी नहीं मिलते. कुछ मरीजों ने बिस्तर नहीं मिलने के कारण घर पर या एंबुलेंस में ही अपनी जान गंवा दी. सिटी में एंबुलेंस की कमी और मनपा अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी बताकर संक्रमितों को ईलाज के लिए भर्ती नहीं किए जाने से मरीजों के साथ-साथ उनके परिवार के सदस्यों को भी मानसिक परेशानी होती है. लेकिन मनपा ने अब मेडिकल (141 डॉक्टर) और मेयो (42 डॉक्टर) के पीजी अंतिम वर्ष के छात्र जिन्होंने 31 अगस्त तक लिखित और 7 सितंबर तक प्रैक्टिकल परीक्षा देने वाले डॉक्टरों की नियुक्ति करने का निर्णय लिया है.

एक वर्ष बर्बाद होने का डर
इन सभी डॉक्टरों को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन से प्रति महीने 1 लाख रुपये का भुगतान किया जाएगा. यदि डाक्टर किसी कॉलेज में व्याख्याता के रूप में सेवा देना चाहते हैं तो उन्हें मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के मानदंडों के अनुसार 1 वर्ष तक वरिष्ठ निवासी डॉक्टर के रूप में कार्य करने का प्रमाण पत्र देना होगा.

लेकिन मनपा में इन डॉक्टरों को केवल 3 महीने के अनुबंध पर चिकित्सा अधिकारी के रूप में काम पर रखने का मन बनाया है, यदि इन डॉक्टरों को वरिष्ठ निवासी डॉक्टरों के रूप में नियुक्त नहीं किया जाता है, तो एक वर्ष बर्बाद होने की संभावना है. दूसरी ओर, अगर एक वर्ष बर्बाद हो जाता है तो दूसरी टीम अगले वर्ष निकल जाएगी. इस हालत उक्त डॉक्टरों को नुकसान होगा क्योंकि उनका अनुभव सामान ही रहेगा. यही वजह है कि मार्ड के बैनर तले इन डॉक्टरों ने मनपा अधिकारियों और वैद्यकीय शिक्षा संचालक डा. तात्याराव लहाणे के साथ चर्चा की है. डॉक्टरों ने उन्हें अपनी समस्या से अवगत कराया. अब देखना होगा कि सरकार कोरोना के संकट काल में डाक्टरों के हितों को ध्यान में रखकर क्या मार्ग निकालती है. ताकी डाक्टरों का नुकसान न हो और मनपा को डाक्टर भी मिल जाये.