नागपुर

Published: May 29, 2020 02:33 AM IST

कचरा घोटालाबीवीजी को बचाने मनपा की बड़ी लीपापोती

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

नागपुर. कचरा घोटाला को लेकर बुरी तरह आरोपों में घिरी महानगरपालिका ने निजी ठेकेदार बीवीजी को बचाने के लिए बड़ी लीपापोती कर दी है. मई-2020 में जो घोटाला हुआ है, उसको छिपाने के लिए ठेकेदार से सफाई मांगने के बजाय मनपा के अधिकारी खुद ही क्लीन चिट बांटने में लग गये हैं. गुरुवार को मनपा की ओर से ड्रोन की एक तस्वीर जारी की गई जो अगस्त 2019 में ली गई थी. इस तस्वीर के हवाले से कहा गया कि जिस गड्ढे से कथित मिट्टी की तस्करी की बात कही गई है, वह बीवीजी को जमीन देने से पहले से ही खुदा हुआ था.

मुंढे के रहते घपला करने की हिम्मत
जानकारों का कहना है कि ऐसे अफसरों के हिम्मत की दाद देनी होगी कि मुंढे जैसे मनपा आयुक्त के पद पर रहते ही कचरा घोटाला को अंजाम दिया गया. मुंढे ने जब पदभार ग्रहण किया था, उसी समय उनको भांडेवाड़ी डम्पिंग यार्ड में चल रही बहुत सारी धांधलियों के बारे में जानकारी मिल गई थी. उन्होंने एक बार औचक कार्रवाई भी की थी, जिसके बाद काफी बातों पर कंट्रोल हो गया था. सर्वदलीय राजनेताओं की पहुंच वाली बीवीजी कम्पनी के अधिकारी मात्र इससे अछूते रहे. वे जानते हैं कि राजनेताओं का आश्रय होने के कारण उनपर कोई आंच नहीं आएगी.

मनपा में बीजेपी की सत्ता और राज्य में महाविकास आघाड़ी की सत्ता होने के कारण सभी दलों में उनके शुभचिंतकों की भरमार है. पुणे कनेक्शन होने के कारण भी बीवीजी के बारे में कोई भी सहज ही बोलने की हिम्मत नहीं जुटाता. मात्र यह अनुमान लगाया जा रहा था कि जब शिवसेना की ओर से पार्टी समन्वयक नितिन तिवारी ने इस घोटाले को उजागर किया और उसकी शिकायत मुंढे से की तो मनपा के अधिकारी मिलीभगत से चल रहे इस गोरखधंधे को रोक पाएंगे. इसके विपरीत अधिकारियों ने जांच के नाम पर डा. प्रदीप दासरवार को कथित गड्ढे का निरीक्षण करने की औपचारिकता निपटाई और 72 घंटे के भीतर ही बीवीजी को क्लीन चिट दे दी. उल्लेखनीय है कि शिवसेना की ओर से इस घोटाले में डा.दासरवार के भी मिलीभगत होने का आरोप लगाया था.

अब तैनात किये दो कर्मचारी
मनपा की ओर से बताया गया कि यह शिकायत मिलने के बाद अब कचरा संकलन पर बारीक नजर रखी जाएगी. एनडीएस के दो कर्मचारी तुरंत तैनात कर दिये गये हैं. यह कर्मचारी वजन के साथ-साथ कचरे पर भी नजर रखेंगे. जो कचरा बीवीजी द्वारा एकत्र किया जाएगा, उसे अलग रखा जाएगा और यदि उसमें मिट्टी या किसी भी तरह की दूसरी मिलावट पाई गई तो उस दिन का वजन रद्द कर ठेकेदार की कार्रवाई की जाएगी. मनपा की इस कार्रवाई पर भी शिवसेना की ओर से हैरानी व्यक्त की गई है. 70 दिनों तक रोज सैकड़ों टन मिट्टी मिश्रित कचरा जमा करने का गोलमाल करने वाले मामले की जांच को लेकर कोई आदेश नहीं दिया गया. मुंढे के निर्देश पर अतिरिक्त आयुक्त राम जोशी ने डा.दासरवार से ही छानबीन कराकर फटाफट मामले को निपटा दिया गया. शिवसेना का दावा है कि यदि 1950 रुपये प्रति टन का हिसाब लगाया जाए तो मनपा को औसत 15 से 20 लाख रुपये प्रतिदिन का नुकसान हो रहा है. एक तरफ मनपा की तिजोरी में कर्मचारियों को वेतन देने के पैसे नहीं है. दूसरी ओर निजी ठेकेदार मनपा का खून चूस रहे हैं और उसके ही कुछ अधिकारी कुम्भकर्णी नींद में हैं.

रिमोट सेंसिंग से करें गड्ढे की जांच : शिवसेना
मनपा की लीपापोती को खारिज करते हुए शिवसेना की ओर से कहा गया कि यदि बीवीजी को क्लीन चिट ही देना है तो रिमोट सेंसिंग के द्वारा गड्ढे की जांच होनी चाहिये. अगस्त 2019 के गड्ढे का व्यास और मई 2020 के गड्ढे का व्यास में जमीन-आसमान का अंतर है. तिवारी ने कहा कि सिर्फ एक जगह ही नहीं सिटी में कई जगह पर बीवीजी द्वारा मिट्टी जमा की जा रही है. डिप्टी सिग्नल में हरीओम कोल्ड स्टोरेज के पास खाली मैदान भी इसी तरह की खुदाई है. इसके अलावा मानसून पूर्व नाला सफाई के द्वारा जो मिट्टी-कीचड़ निकल रही है, उसे भी बीवीजी कौड़ी के मोल पर खरीद कर कचरे में मिलाया जा रहा है. शिवसेना की ओर एक बार फिर महापौर संदीप जोशी और निगमायुक्त मुंढे से इस मामले की गहराई से जांचकर मनपा को हो रहे आर्थिक नुकसान से बचाने की अपील की है.