नागपुर

Published: May 17, 2023 06:00 AM IST

Grain Black marketingसरकारी अनाज की कालाबाजारी, गिरफ्तारी से बचने HC की शरण में अभियुक्त

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
File Photo

नागपुर. सरकारी अनाज की कालाबाजारी को लेकर वितरण अधिकारी की ओर से सदर थाना में दी गई शिकायत के बाद गिरफ्तारी से बचने के लिए मो. आरीफ मो. रशीद एवं अन्य की ओर से हाई कोर्ट में गिरफ्तारी पूर्व जमानत की याचिका दायर की गई. याचिका पर सुनवाई के बाद न्यायाधीश उर्मिला जोशी ने याचिकाकर्तांओं की तुरंत गिरफ्तारी की आवश्यकता नहीं होने तथा जांच एजेन्सी द्वारा सामग्री पहले ही जब्त किए जाने का हवाला देते हुए याचिकाकर्ताओं को 20,000 रु. के निजी मुचलके पर गिरफ्तारी पूर्व जमानत प्रदान की. उल्लेखनीय है कि तीनों याचिकाकर्ताओं के खिलाफ एसेन्शियल कमोडिटिज एक्ट की धारा 3 और 7 के तहत सदर में मामला दर्ज किया गया था. याचिकाकर्ता की ओर से अधि. उदय डबले और राज्य सरकार की ओर से सहायक सरकारी वकील एच. एन. जयपुरकर ने पैरवी की.

अवैध रूप से गोदाम में जमा किया माल

अभियोजन पक्ष के अनुसार अनाज वितरण विभाग के अधिकारी ज्ञानेश्वर दिवटे को खुफिया जानकारी मिली थी कि कुछ लोग सस्ती अनाज की सरकारी दूकानों से गरीब लोगों को दिया जानेवाला चावल जमा कर कालाबाजारी कर रहे हैं. सूचना मिलते ही अधिकारी ने इसकी जांच की. जांच के दौरान पता चला कि नरेन्द्र मेहर और प्रशांत खुरटकर के साथ मिलकर याचिकाकर्ता अवैध रूप से गोदाम में चावल जमा कर रहे हैं जबकि यह चावल गरीब जनता के लिए सरकार की ओर से आवंटित किया जा रहा है. मामला उजागर होने के बाद अधिकारी दिवटे की ओर से सदर पुलिस थाना में इसकी शिकायत दर्ज कराई गई. 

छापामारी में मिली 240 बोरी अनाज

अधिकारी दिवटे ने पुलिस को साथ में लेकर छापामारी की. छापामारी के दौरान 240 बोरी में भरा अनाज पाया गया. कार्रवाई के दौरान पुलिस ने 7 लाख का माल जब्त किया. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से बताया गया कि केवल संदेह के आधार पर उन्हें झूठे मामले में फंसाया जा रहा है. जबकि इस कथित अपराध से उनका कोई लेना-देना नहीं है. मामले में चूंकि पुलिस ने सारा माल जब्त कर लिया, अत: उनके हिरासत की आवश्यकता भी नहीं है. सुनवाई के बाद अदालत ने जहां सदर पुलिस को नोटिस जारी किया, वहीं तीनों याचिकाकर्तांओं को गिरफ्तारी पूर्व जमानत प्रदान की. अदालत ने जांच के दौरान सहयोग करने तथा आवश्यकता पड़ने पर पुलिस थाना में उपस्थित रहने के भी आदेश याचिकाकर्ताओं को दिए.