नागपुर
Published: Dec 07, 2022 11:38 PM ISTPower Plantपुराने बिजली प्लांट में बदलाव से करोड़ों की बचत, क्लाइमेट रिस्क ने चंद्रपुर, कोराडी, खापरखेड़ा और नाशिक पर किया विश्लेषण
नागपुर. अनुसंधान संस्था क्लाइमेट रिस्क होराइजन्स के नए विश्लेषण में पता चला है कि जमीन और कोयले से जुड़ी पुरानी मूलभूत सुविधाओं की मदद से महाराष्ट्र के कुछ सबसे पुराने और महंगे कोयला प्लांट्स को साफ ऊर्जा और ग्रिड स्थिरता सेवाओं के लिए परिवर्तित करने पर 5700 करोड़ का लाभ मिल सकता है.
यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफ़ोर्ड के ऑक्सफ़ोर्ड सस्टेनेबल फाइनेंस ग्रुप में ट्रांजिशन फाइनेंस रिसर्च के प्रमुख डॉ. गिरीश श्रीमाली द्वारा किये गए इस अनुसंधान में पहली बार भुसावल, चंद्रपुर, कोराडी, खापरखेड़ा और नाशिक के 4020 मेगावाट क्षमता की पुरानी कोयला इकाइयों को बंद करने और उसमें बदलाव से संबंधित कीमत और लाभ के परिणाम का आकलन किया गया.
रिपोर्ट में बताया गया है कि कैसे राज्य की पुरानी इकाइयों में बदलाव से अधिक से अधिक आर्थिक लाभ मिल सकता है और इससे पेरिस जलवायु अनुबंध के अंतर्गत भारत के नेशनली डेटेरमाइन्ड कॉन्ट्रीब्यूशन (एनडीसी) के अनुसार आने वाले दशक में कोयले पर निर्भरता धीरे-धीरे कम होती जाएगी.
ऊर्जा संक्रमण में महाराष्ट्र अव्वल
क्लाइमेट रिस्क होराइजन्स के सीईओ आशीष फर्नांडिस ने कहा कि भारत के एनर्जी ट्रांजिशन (ऊर्जा संक्रमण) में महाराष्ट्र सबसे अग्रणी राज्यों में से है. इस अध्ययन में दिखाई दे रहा है कि राज्य के पुराने, अधिक महंगे कोयला संयंत्रों को बंद करना और उनमें बदलाव आर्थिक रूप से आकर्षित करने वाले मौके दे सकता है. पुरानी कोयला इकाइयां या तो अपना जीवनकाल पूरा कर चुकी हैं या फिर नजदीक हैं. साथ ही इनका संचालन खर्च बहुत महंगा है जो कि 6 रुपये प्रति किलो वाट घंटा है. इन्हें उत्सर्जन मानकों का पालन करने के लिए वायु प्रदूषण नियंत्रण उपकरण लगाने की जरूरत है जो काफी खर्चीला है.
कई अध्ययनों में यह बात सामने आई है कि पुराने कोयला प्लांट्स को बंद करना और उनके नियोजित उत्पादन को नए, अक्षय ऊर्जा से बदलने पर बिजली खर्च कम करने के माध्यम से बचत होगी. यह विश्लेषण महाराष्ट्र के पुराने प्लांट्स के बारे किया गया है. इसके अंतर्गत प्लांट्स को बंद करने का खर्च और आर्थिक लाभ वर्तमान में मौजूद जमीन और बिजली की मूलभूत सुविधाओं को सोलर पीवी, बैटरी भंडारण और ग्रिड स्टेबिलाइज़ेशन सेवाओं के उपयोग में लाया जा सकता है.
चंद्रपुर स्थित ग्रीन प्लेनेट सोसाइटी के सुरेश चोपने ने कहा कि राज्य में कोयला प्लांट्स से होने वाले गंभीर वायु और जल प्रदूषण की वजह से यह जरूरी हो जाता है कि महाराष्ट्र की महंगे और पुराने हो चुके कोयला प्लांट्स पर से निर्भरता कम की जाये. दीर्घकालीन उपायों पर जोर देना चाहिए जो सिर्फ सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए ही नहीं बल्कि बिजली की बढ़तीं कीमतों पर नियंत्रण के लिए भी कारगर होगा.