नागपुर

Published: Jul 14, 2021 11:33 PM IST

नागपुरबहुचर्चित दीपाली चव्हाण आत्महत्या प्रकरण: हाई कोर्ट ने दी राहत, पासपोर्ट सरेंडर, देश न छोड़े शिवकुमार

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

नागपुर. मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प की आरएफओ दीपाली चव्हाण के बहुचर्चित आत्महत्या मामले में मुख्य आरोपी बनाए गए गुगामल परिक्षेत्र के उप वनसंरक्षक विनोद शिवकुमार ने जमानत के लिए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. याचिका पर बुधवार को सुनवाई के बाद न्यायाधीश रोहित देव ने पासपोर्ट सरेंडर करने तथा अदालत की अनुमति के बिना देश न छोड़ने जैसी कड़ी शर्तों के साथ जमानत के आदेश जारी किए. याचिकाकर्ता की ओर से अधि. फिरदौस मिर्जा ने पैरवी की.

उल्लेखनीय है कि शिवकुमार की ओर से इसके पूर्व भी हाई कोर्ट में अर्जी दायर की थी. उनके खिलाफ प्रथम श्रेणी न्याय दंडाधिकारी के समक्ष चार्जशिट दायर किए जाने के कारण अर्जी वापस ली थी. 20 जून को अर्जी ठुकराई गई थी. जिससे अब पुन: हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया. उल्लेखनीय है कि दीपाली चव्हाण मेलघाट अंतर्गत हरिसाल वनक्षेत्र की वन परिक्षेत्र अधिकारी थी. दीपाली ने वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा निरंतर मानसिक प्रताड़ना किए जाने का कारण देते हुए त्रस्त होकर आत्महत्या की थी. यहां तक कि इस संदर्भ में सुसाइड नोट भी लिखकर रखा था. 

आत्महत्या के लिए रेड्डी भी जिम्मेदार

राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि हरिसाल वनक्षेत्र की वन परिक्षेत्र अधिकारी दीपाली चव्हाण की आत्महत्या के लिए गुगामल वन परिक्षेत्र के उप वनसंरक्षक विनोद शिवकुमार के साथ ही मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प के अति. प्रधान मुख्य वनसंरक्षक एम. श्रीनिवास रेड्डी भी जिम्मेदार है. रेड्डी की ओर से एफआईआर रद्द करने के लिए हाई कोर्ट में अलग से अर्जी दायर की गई है.

जिसमें राज्य सरकार की ओर से उप विभागीय पुलिस अधिकारी पुनम पाटिल का हाई कोर्ट में शपथपत्र भी दायर किया गया. शपथपत्र में सरकार का मानना था कि शिवकुमार जानबूझकर दीपाली को मानसिक और शारीरिक रूप से परेशान किया करता था. कई लोगों के सामने ही अपमान भी किया करता था. इसी वजह से निराशा में डूबी दीपाली ने तंग आकर आत्महत्या कर ली. जिसका उल्लेख उसके सुसाइड नोट में भी किया गया था. 

रेड्डी ने शिवकुमार पर नहीं की कार्रवाई