नागपुर

Published: Aug 29, 2022 02:27 AM IST

Salaryवेतन के लिए कोर्ट तक न आना पड़े, क्या कदम उठा सकते है प्रधान सचिव : हाई कोर्ट

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

नागपुर. संस्थान पर 3 वर्ष से अधिक का वेतन बकाया होने के कारण दिनेश चौहान की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई. याचिका पर लंबी बहस के बाद न्यायाधीश रोहित देव और न्यायाधीश अनिल पानसरे ने इस तरह से न केवल याचिकाकर्ता बल्कि याचिकाकर्ता जैसे अन्य लोगों को वेतन के लिए कोर्ट तक न आना पड़े, इसके लिए क्या कदम उठा सकते है और किस तरह के उपाय किए जा सकते हैं. इसे लेकर राज्य सरकार के शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव को विस्तृत हलफनामा दायर करने के आदेश दिए. याचिकाकर्ता की ओर से अधि. एस.एम. वैष्णव, सरकार की ओर से सहायक सरकारी वकील के.एल. धर्माधिकारी और शिक्षा संस्थान प्रबंधन की ओर से अधि. पी.एस. पाटिल ने पैरवी की.

30 दिन के भीतर 3 वर्ष का भुगतान

सुनवाई के दौरान संस्थान प्रबंधन की ओर से पैरवी कर रहे वकील ने कहा कि फरवरी 2019 से लेकर अब तक जितना भी वेतन का बकाया है, पूरी निधि 30 दिन के भीतर याचिकाकर्ता को अदा कर दी जाएगी. इस संदर्भ में 16 जनवरी 2022 को दिए गए अतिरिक्त हलफनामा की कापी भी प्रबंधन के वकील द्वारा सौंपी गई.

इस हलफनामा में उक्त समयावधि के वेतन बकाया और इसकी अधिकारिता को लेकर भी फिर एक बार प्रश्नचिन्ह लगाया गया. प्रबंधन की ओर से बताया गया कि जिस कार्यकाल का बकाया वेतन मांगा जा रहा है, उसमें से कई दिन याचिककर्ता की स्कूल में उपस्थिति नहीं थी. जिस पर अदालत का मानना था कि यदि याचिकाकर्ता उपस्थित नहीं था तो प्रबंधन के लिए अलग उपाय थे लेकिन इस आधार पर वेतन रोका नहीं जा सकता है. 

एजुकेशन ऑफिसर से भी मांगा जवाब

अदालत ने आदेश में स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता को जो वेतन का भुगतान किया जाना है. उसे सुनिश्चित करने के लिए एजुकेशन ऑफिसर की ओर से क्या कदम उठाए जा रहे हैं. अदालत ने आदेश में कहा कि प्रति दिन या हर दूसरे दिन इसी तरह की याचिकाओं से निपटना पड़ता है. अधिकारियों की बेपरवाह कार्यप्रणाली के कारण इस तरह के मामले अदालत के समक्ष आते हैं. अदालत ने आदेश में कहा कि याचिकाकर्ता की तरह कोई भी कर्मचारी कहीं भी कार्य करता हो लेकिन उसे वेतन के लिए कोर्ट तक न आना पड़े, इसके लिए क्या कदम उठाए जाएंगे, इसे लेकर विस्तृत हलफनामा दायर करने के आदेश प्रधान सचिव को भी दिए.