नागपुर

Published: Aug 06, 2020 12:04 AM IST

विकास पक्के रास्तों को तरस रहीं पूर्व नागपुर की बस्तियां, कामठी-भरतवाड़ा रोड के कई लेआउटों में आज भी अंधेरा

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

नागपुर. नागपुर सिटी के भीतर कई इलाकों में अच्छी खासी सड़कें बार-बार उखाड़कर बनाई जा रही हैं लेकिन बाहर बसी बस्तियों के नागरिक पक्की सड़क के लिए तरस रहे हैं. फिर भी पक्की सड़क बनना तो इन बस्तियों के दिवा स्वप्न सा बन चुका है. रिंग रोड से बाहर के इलाकों में, खासकर पूर्व और उत्तर नागपुर की बस्तियों में नागरिक गांवों से भी बदतर जिंदगी गुजार रहे हैं. इन्हीं में से एक इलाका कलमना रिंग रोड पर भरतवाड़ा-कामठी रोड से लगा हुआ है. इस क्षेत्र की बस्तियों में तलमले लेआउट, ओमनगर, घासीदास नगर, गंगाबाई हाउसिंग सोसायटी, नशेमन को. सोसायटी सहित कई लेआउट शामिल हैं. इन लेआउटों में चंद सालों पहले ही लोगों को उजाला नसीब हो पाया है वहीं लोग आज भी पक्की सड़क से वंचित हैं.

15 साल लालटेन में बिताए
नागपुर शहर के भीतर जब हाईमास लाइटें लगनी शुरू हुई थीं, तब तक यहां पर लोग अंधेरे में जीवन बिता रहे थे. इस क्षेत्र के वरिष्ठ नागरिक राजेन्द्र सिंह ने बताया कि पांच साल पहले ही यहां बिजली आई है. उनका मकान बने 20 साल हो चुके हैं. इससे पहले के 15 साल तक उनके घर में बिजली नहीं थी और लोग घर में लालटेन जलाकर रात बिताते थे. कॉलेजों में पढ़ाई करने वाले उनके बच्चे केरोसीन की चिमनी जलाकर पढ़ाई करते थे. बीते दो साल पहले ही उनके इलाके में रास्ते पर मुरुम व बोल्डर डालकर मार्ग बनाया गया है. पहली सड़क भी नहीं थी. जब उनके बच्चों को स्कूल ले जाते थे तो उन्हें कंधे पर बिठाकर मेन रोड तक ले जाना पड़ता था. पिछले साल ही इस बस्ती में नल शुरू हुआ है.

खाली प्लॉट बने दलदल
इन बस्तियों के भीतर शहर के कई संपन्न लोगों ने पॉपर्टी इनवेस्टमेंट के रूप में बड़े-छोटे भूखंड खरीदकर रखे हैं. इन भूखंडों के कारण लोगों का जीना मुकिश्ल हो गया है. भूखंडों में साल के बारहों महीने पानी भरा रहता है. बरसात में तो यहां पर तालाब जैसी स्थिति बन जाती है. इनके भीतर सुअरों के झुंड आराम फरमाते रहते हैं. कई प्लाटों में बड़े-बड़े पेड़ उग गए हैं और उनमें कई सांप रहते हैं. रात में यहां से चलना मुश्किल हो जाता है. बरसात के दिनों में तो घर तक अपना दोपहिया लेकर घुसना भी असंभव होता है.