नागपुर

Published: Apr 07, 2021 01:02 AM IST

COVID-19अस्पतालों के सामने परिजनों के भी बुरे हाल, बाहर खुले में सोने को मजबूर

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

नागपुर. कोरोना का प्रकोप बढ़ने के साथ ही जिले में स्थिति बिगड़ने लगी है. अस्पतालों में बेड नहीं मिल रहे हैं. गंभीर अवस्था में मरीजों के भर्ती होने पर डॉक्टरों पर भी दबाव बढ़ता जा रहा है. इतना ही परिजनों को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. कोरोना की वजह से मरीजों से मिलने की अनुमति नहीं होने के कारण परिजनों को अस्पताल परिसर या फिर बाहर बैठकर इंतजार करना पड़ रहा है. परिजन बाहर खुले में सोने को मजबूर हैं. कोरोना की वजह से सभी परेशान हो गये हैं.

सख्ती की वजह से बड़े दूकानदारों से लेकर फुटपाथ पर टपरी लगाकर परिवार का पालन पोषण करने वाले भी मुश्किल में आ गये हैं. इनदिनों अस्पतालों में भीड़ बढ़ती जा रही है. ऑक्सीजन और वेंटिलेशन वाले बेड मिलना मुश्किल हो गया है. एक बार मरीज के भर्ती होने के बाद वहां डॉक्टर, नर्स के अलावा किसी भी परिजन को जाने की अनुमति नहीं रहती. घर से पका हुआ भोजन देने के लिए बाहर ही रखना पड़ता है. वहीं, डॉक्टरों द्वारा समय-समय पर दवाई सहित टेस्ट कराने के लिए परिजनों को अवगत कराया जाता है. यही वजह है कि परिजनों को बाहर रहना ही पड़ता है.

दिनभर पेड़ की छांव, रात फुटपाथ पर

सरकारी हो या प्राइवेट किसी भी अस्पताल में इतने अधिक परिजनों के लिए प्रतीक्षालय की व्यवस्था नहीं है. इस हालत में बाहर ही खड़े-बैठे रहना पड़ता है. डॉक्टर कुछ जानकारी देंगे इस उत्सुकता में परिजन डॉक्टर और नर्स का मुहं ताकते रहते हैं. इनदिनों पारा भी लगातार चढ़ता जा रहा है. पेड़ों की छांव के नीचे बैठना भी मुश्किल हो गया है. लेकिन मजबूरीवश दिन निकालना पड़ रहा है. रात के वक्त भी परिजनों को बाहर ही सोना पड़ता है.

परिजनों का कहना है कि अपने मरीजों की तबीयत का हाल-चाल जानने के लिए बाहर रहना ही पड़ता है. कभी डॉक्टरों द्वारा दवाई के बारे में बताया जाता है, तुरंत खरीदकर लाना पड़ता है. हालांकि अस्पतालों ने फोन नंबर देकर रखा है. लेकिन अनेक मरीज होने से हर बार फोन पर बात नहीं हो पाती.

यही वजह है कि तकलीफ सहन करना पड़ रहा है. जो मरीज जिले से बाहर के है, उनके लिए भोजन-पानी की समस्या बनी हुई है. कई सामाजिक संस्थाएं परिजनों के भोजन की व्यवस्था कर रही है. लेकिन मंगलवार से होम डिलीवरी शुरू होने से दिक्कतें बढ़ गई है. नाश्ते की दूकानों को भी बंद कर दिया गया है.