नागपुर

Published: Aug 24, 2022 11:49 PM IST

Suicide Caseपीड़ित की आत्महत्या के 5 माह बाद FIR; WCL में नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी, HC ने दी राहत

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

नागपुर. नौकरी देने के नाम पर ठगी होने के बाद अमित कोवे द्वारा आत्महत्या किए जाने के मामले में 10 जून को धंतोली पुलिस ने  एफआईआर दर्ज की. इसी तरह से केलवद में भी एफआईआर दर्ज की गई थी जिसके बाद पुलिस ने कड़बी चौक क्लार्क टाउन निवासी राकेश खुराना और अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया.

धंतोली में दर्ज मामले में अंतरिम जमानत के लिए राकेश खुराना ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. इस पर बुधवार को सुनवाई के बाद न्यायाधीश अनिल किल्लोर ने संदेह का लाभ देते हुए शर्तों पर अंतरिम जमानत प्रदान की. याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को बताया गया कि यदि पूरे मामले को देखा जाए तो भी आईपीसी की धारा 306 के तहत मामला नहीं बनता है. मामले में पीड़ित ने 14 जनवरी 2022 को आत्महत्या की थी, जबकि 5 माह बाद 10 जून को पुलिस से शिकायत दर्ज की गई थी.

देरी के लिए कारण का स्पष्टीकरण नहीं

बचाव पक्ष की ओर से बताया गया कि शिकायत दर्ज कराने में इतनी देरी क्यों हुई? इसका स्पष्टीकरण नहीं दिया गया है जिससे एफआईआर में लगाए गए आरोपों को लेकर संदेह हो रहा है. इसे देखते हुए जमानत प्रदान करने का अनुरोध अदालत से किया गया. सरकारी पक्ष की ओर से बताया गया कि इस मामले के अलावा भी अन्य 11 मामले दर्ज हैं. याचिकाकर्ता के खिलाफ इतने मामलों को देखते हुए जमानत नहीं देने का अनुरोध सरकारी पक्ष ने किया. सुनवाई के दौरान जांच अधिकारी से प्राप्त केस डायरी और जांच के दौरान जुटाए सबूतों को देखते हुए अदालत ने उक्त धारा लगाए जाने पर संदेह जताया. साथ ही शिकायत दर्ज करने में हुई देरी को लेकर भी संदेह जताया. 

58 लोगों के साथ धोखाधड़ी

बताया जाता है कि महावितरण कंपनी में कार्यरत ऊंटखाना निवासी मोहन गजबे से उनके 2 बेटों को नौकरी लगवाने के लिए खुराना ने मोटी रकम ली थी. इसी तरह से गजबे के माध्यम से 58 लोगों ने अपने परिवार के सदस्य को वेकोलि में नौकरी दिलाने के लिए खुराना को लगभग 3 करोड़ रु. दिए. सभी को कोल इंडिया और मिनिस्ट्री ऑफ स्किल डेवलपमेंट के फर्जी दस्तावेज दिए गए थे लेकिन किसी को नौकरी नहीं मिल सकी. इसी तरह के मामले में आत्महत्या होने पर पुलिस ने मामला दर्ज कर छानबीन की थी. सुनवाई के दौरान सरकारी पक्ष की ओर से बताया गया कि याचिकाकर्ता के खिलाफ गंभीर तरह के मामले दर्ज हैं. जांच अधिकारी की ओर से कड़ी जांच के बाद पुख्ता सबूत जुटाए गए हैं.