नागपुर
Published: Feb 25, 2023 03:01 AM ISTPlot grabbedखाली प्लॉट को जबरन हड़पा, रजिस्ट्री का फर्जीवाड़ा, कलमना का सब्जी विक्रेता अरेस्ट, बेल भी मिली
नागपुर. हुड़केश्वर थानांतर्गत कई वर्षों से खाली प्लॉट को फर्जी रजिस्ट्री के सहारे हड़पने का मामला सामने आया है. पूरे मामले की शिकायत मिलने के बाद भी थाना अधिकारियों और पुलिस कर्मियों की संदिग्ध कार्यप्रणाली का पता चलते ही स्वयं शहर पुलिस आयुक्त अमितेश कुमार को जांच के निर्देश देने पड़े. आरोपियों के नाम न्यू सुभेदार, हुड़केश्वर निवासी विनोद प्रेमचंद लोखंडे और अशोक शंकर नितनवरे बताया गया. लोखंडे कलमना मंडी में सब्जी विक्रेता है. पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर कोर्ट के समक्ष पेश किया और पूछताछ के लिए 1 मार्च तक हिरासत मांगी. हालांकि कोर्ट ने विनोद को न्यायिक हिरासत में भेजा और बाद में जमानत दे दी.
क्या है मामला
जवाहरनगर निवासी दुर्गा प्रसाद रामकृपाल चौबे की शिकायत पर मामला दर्ज किया गया. उन्होंने शिवशक्ति हाउसिंग सोसाइटी के मालिक चंदू सातपुते से गजानननगर, पिपला रोड पर बने लेआउट में प्लॉट लिया था. 1988 से किस्तों में भुगतान के बाद 21 जुलाई 1999 रजिस्ट्री और कब्जा पत्र बनाया गया. वर्ष 2001 से 2007 तक चौबे ने मनपा में सारे टैक्स भी भरे. उन्हें 7 फरवरी 2023 को लेआउट के एक अन्य प्लॉट धारक का कॉल आया कि उनके प्लॉट पर लगा बोर्ड हटाकर लोखंडे ने अपने नाम का बोर्ड लगा दिया. साथ ही प्लॉट बिक्री पर निकाल दिया है. बोर्ड पर लिखे नंबर पर लोखंडे से बात करने पर उसने प्लॉट पर अपना हक जताया और रजिस्ट्री होने का दावा किया. हालांकि रजिस्ट्री दिखाने से इनकार कर दिया. चौबे ने 11 फरवरी को हुड़केश्वर पुलिस में शिकायत की. चौबे ने अपनी असली रजिस्ट्री दिखाई और लोखंडे ने उन्हें 2,569 (छा) नंबर रजिस्ट्री दिखाकर कहा कि उसने अशोक नितनवरे से प्लॉट खरीदा है. म्हालगीनगर रजिस्ट्रार ऑफिस से पता चला कि इस नंबर की रजिस्ट्री रेणुका विहार में खसरा नंबर 64/2,3,5,7 के प्लॉट 23 की है जो किसी जया राजेन्द्र मानकर के नाम की है. इस तरह लोखंडे की रजिस्ट्री नकली निकलने के बाद पुलिस कमिश्नर के आदेश पर हुड़केश्वर पुलिस ने एफआईआर दर्ज की.
हुड़केश्वर पुलिस की संदिग्ध भूमिका
इस प्रकरण में किस तरह खाली प्लॉट पर कब्जा करने वाले गिरोह की पुलिस के साथ मिलीभगत है उसका खुलासा हुआ है. शिकायतकर्ता चौबे द्वारा 12 फरवरी को लिखित शिकायत देने के बाद भी थाने ने उसे गंभीरता से नहीं लिया. काफी ठोकरे खाने के बाद एक दिन थाने से बुलावा आया. जब वे थाने पहुंचे तब लोखंडे अपने दो साथियों के साथ पीआई सगणे के कक्ष में बैठा हुआ था. आपराधिक प्रवृत्ति के दोनों युवक में एक का नाम संजय हिरणवार और दूसरे का गौर बताया जाता है. सगणे ने शिकायतकर्ता को खड़े ही रहने दिया और पूछा कि आपकी रजिस्ट्री की तारीख क्या है. चौबे ने तारीख बताई तो सगणे ने फैसला सुना दिया कि लोखंडे की रजिस्ट्री पुरानी है, इसलिए यह क्राइम नहीं है. अब कुछ नहीं हो सकता आप चले जाएं.
बोगस निकली लोखंडे की रजिस्ट्री
चौबे ने इस मामले में खुद ही दौड़-धूप कर लोखंडे की रजिस्ट्री का पता लगाया. उसकी रजिस्ट्री की बोगस निकली. उसका अधिकृत दस्तावेज लेकर पुलिस आयुक्त अमितेश कुमार को दिखाया. तब सीपी ने डीसीपी सागर और इंस्पेक्टर सगणे को मामले की गहराई से जांच के आदेश दिये. लोखंडे ने पुलिस को बताया कि उसने अशोक नितनवरे नामक व्यक्ति से प्लॉट खरीदा था. गिरफ्तार होने के बाद नितनवरे का नंबर और पता भी लोखंडे को पता ही नहीं है. अब यह सवाल उठ रहा है कि नितनवरे नामक कोई व्यक्ति है ही नहीं. पुलिस ने नितनवरे को आरोपी बनाया, लेकिन उसकी गिरफ्तारी के लिए कोई प्रयास नहीं किये. यहां तक कि पुलिस ने बनाईत का भी पता लगाने की कोशिश नहीं की. इस बनाईत ने ही चौबे के प्लॉट पर 6 महीने पहले कब्जा करने की कोशिश की थी. दस्तावेज देखने के बाद बनाईत ने कब्जा छोड़ दिया था. सीपी ने कहा कि बनाईत पर भी एक्शन लिया जाए लेकिन हुड़केश्वर ने उसको आरोपी तक नहीं बनाया. इधर थाने में धमकी देने वाले अपराधी हिरणवार और गौर को भी आरोपी नहीं बनाया गया. सीपी ने अब इस मामले में पुलिस अफसरों की खिंचाई की और नये सिरे से जांच करने के आदेश दिये हैं.
DBA पदाधिकारी के नाम से धमकी
हुड़केश्वर पुलिस थाने में कुछ लोगों से मिलीभगत के कारण लोखंडे के हौसले काफी बुलंद हैं. पीआई सगणे द्वारा पहली बार क्लीन चिट देने के बाद लोखंडे के साथियों ने थाना परिसर में ही चौबे को यह कहकर धमकाया कि उनको शहर में कोई भी चलता है वे किसी से भी निपट लेंगे. लोखंडे ने भी डीबीए के एक बड़े पदाधिकारी का नाम लेकर यह कहा कि वे उनके वकील हैं और वे सब-कुछ देख लेंगे. हुड़केश्वर पुलिस मूकदर्शक बनकर देखती रही. शुक्रवार को जब लोखंडे को अदालत में पेश किया गया तब पुलिस ने न्यायाधीश को यह तक नहीं बताया कि जो रजिस्ट्री लोखंडे ने दिखाई है वह पूरी तरह फर्जी है. पुलिस और सरकारी वकील पूरे मामले में मूकदर्शक बने रहे. जिसके चलते सिटी में भूखंड माफियाओं के हौसले बुलंद है.