नागपुर

Published: Sep 10, 2022 11:24 PM IST

Garba शहर में गरबा क्लासेस की धूम; कहीं 15 तो कहीं एक महीने की ट्रेनिंग

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
File Photo

नागपुर. डांस महज एक कला नहीं बल्कि भक्ति का भी एक माध्यम है. जब कोई कला हद से ज्यादा प्रसिद्ध हो जाती है तो उसमें व्यापारिक दृष्टिकोण भी आ जाता है. वह एक धार्मिक आयोजन के साथ-साथ कमर्शियल इवेंट बन जाता है. गरबा के बारे में भी कुछ ऐसा ही हो रहा है. नवरात्रि में अभी कुछ दिन की देर है पर शहर में चौराहों और नुक्कड़ों पर गरबा क्लासेस के बोर्ड नजर आने लगे हैं.

शहर के डांस टीचर बने गरबा कोरियोग्राफर

कृणाल डांस एकेडमी के कृणाल कोंडूलवार ने बताया कि शहर के अधिकांश डांस टीचर इस समय गरबा सिखाने में व्यस्त हैं. प्रत्येक डांस टीचर ने एक-दो जगह गरबा कोचिंग शुरू की है या अपने डांस क्लास को गरबा क्लास में तबदील कर दिया है. रेगुलर स्टूडेंट के अलावा नया-नया गरबा सीखने वालों की संख्या में इजाफा हुआ है. शहर में 500 से ऊपर डांस टीचर हैं. एक टीचर दो से तीन जगह क्लासेस ले रहे हैं.

व्यक्तिगत और ग्रुप कोचिंग का भी क्रेज

डांस टीचर नवीन गजघाटे ने बताया कि 2 साल तक चलीं पाबंदियां इस साल खत्म हो गई हैं. लोगों में गरबा सीखने का डबल क्रेज है. एक टीचर के पास सिंगल कोचिंग लेने वाले 70 तक लोग हैं. एक व्यक्ति या ग्रुप को सप्ताह में 3 दिन कोचिंग के लिए लोग 5000 रुपये तक देने को तैयार हैं.

कुछ नया करने की खातिर लेते हैं कोचिंग

कृष्णा रास गरबा ग्रुप की प्रियंका ठाकरे ने बताया कि कम्पटीशन में कुछ नया करके दिखाने के लिए कोंचिग लेना पड़ती है. नवरात्र के एक महीने पहले से उनका ग्रुप गरबे का अभ्यास करना शुरू करते हैं. कोरियोग्राफर ग्रुप डांस और थीम भी सेट करके देता है. एक सीजन के लिए 4 से 5 अलग-अलग थीम सेट करनी पड़ती हैं.

दो साल का ब्रेक

चिल्लम चिल्ली ग्रुप के सदस्य और पेशे से व्यवसायी पंकज ढोबले ने कहा कि 2 साल तक गरबा बंद होने से कई लोग स्टेप्स भूल चुके हैं और लिंक भी टूट चुकी है. गरबे में लय और ताल होना जरूरी है. एक्सपर्ट की निगरानी में जल्दी सीखने को मिलता है. अमिशा शाह ने बताया कि कोचिंग की आवश्यकता सभी को है. स्पर्धा में इनाम जीतना जरूरी नहीं. उससे से ज्यादा दर्शकों के सामने प्रदर्शन खराब न हो, इसका ज्यादा ध्यान रखना पड़ता है.

फीस पर एक नजर