नागपुर

Published: May 28, 2020 01:58 AM IST

शराब की दूकान नीतिगत मामले में हाईकोर्ट का दखल से इंकार

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

नागपुर. कोरोना के मद्देनजर लॉकडाउन की घोषणा के साथ भले ही सरकार की ओर से राजस्व के लिए शराब की दूकानों को शर्तों के साथ खोलने की अनुमति प्रदान की हो, लेकिन सामान्य तौर पर भी इन नियमों का राज्यभर में कड़ाई पालन करने के आदेश देने का अनुरोध करते हुए अधि.आनंद डागा की ओर से हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई. याचिका पर सुनवाई के बाद न्यायाधीश रवि देशपांडे और न्यायाधीश अमित बोरकर ने इसे पूरी तरह नीतिगत मामला करार देते हुए याचिका ठुकरा दी. याचिकाकर्ता की ओर से अधि. दिलीप डागा और सरकार की ओर से अधि. सुमंत देवपुजारी ने पैरवी की.

नहीं करना चाहते सुनवाई
याचिका पर सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से पैरवी कर रहे अधि. देवपुजारी की ओर से अदालत द्वारा दिए गए आदेशों के अनुसार हलफनामा दायर करने के लिए कुछ समय देने का अनुरोध किया गया, किंतु अदालत ने कहा कि चूंकि यह पालिसी मैटर है, अत: अदालत को इसमें दखल नहीं देना चाहिए. यहां तक कि जब अदालत सुनवाई नहीं करना चाहती है तो सरकार शपथपत्र क्यों दायर करना चाहती है? यह प्रतिप्रश्न भी सरकारी पक्ष से किया. याचिकाकर्ता का मानना था कि बाम्बे फारेन लीकर एक्ट 1953 और बाम्बे प्रोहिबिशन एक्ट 1949 के अंतर्गत राज्य सरकार की ओर से शराब बिक्री के कुछ नियम निर्धारित कर रखे हैं, जिसके अनुसार ग्राहक के पास परमिट होना अनिवार्य है. लेकिन अदालत ने याचिकाकर्ता की दलीलों को सुनने से इंकार कर याचिका खारिज कर दी.

नियमों का नहीं हो रहा पालन
गत सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने कहा कि लॉकडाउन में प्रशासन की ओर से इन नियमों को लागू तो किया है, लेकिन कई दूकानों पर इन नियमों का पालन होता दिखाई नहीं दे रहा है, जबकि दूकानदारों की ओर से खुलेआम शराब की बिक्री की जा रही है. इस तरह से परमिट के माध्यम से राज्य सरकार को मिलनेवाले राजस्व का भी नुकसान होता है. कोरोना से निपटने के लिए राज्य सरकार को निधि की आवश्यकता है. इस तरह से राजस्व में वृद्धि की जा सकती है.