नागपुर

Published: Dec 07, 2022 11:32 PM IST

Maharudra Training Center100 एकड़ भूमि में महारुद्र प्रशिक्षण केंद्र, वन एवं सांस्कृतिक कार्य मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने दी जानकारी

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
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नागपुर. वन एवं सांस्कृतिक कार्य मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव के अवसर पर नागपुर शहर के निकट सभी सुविधाओं से युक्त महारुद्र प्रशिक्षण केंद्र स्थापित करने का निर्णय लिया गया है. कलेक्टर डॉ. विपिन इटनकर को ‘यशदा’ जैसे इस नवीन प्रशिक्षण केन्द्र की स्थापना के लिए नागपुर के निकट 100 एकड़ भूमि तलाशने के निर्देश दिए. इस प्रशिक्षण केंद्र में सभी सुविधाएं उपलब्ध रहेंगी.

महारुद्र प्रशिक्षण केंद्र के प्रथम चरण में विभिन्न कार्यों के लिए 100 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं और जगह उपलब्ध होते ही काम वास्तव में शुरू हो जाएगा. इस महारुद्र प्रशिक्षण केंद्र का उपयोग कुल 2 लाख 92 हजार सदस्यों को प्रशिक्षित करने के लिए किया जाएगा, जिसमें 1 लाख 92 हजार ग्राम पंचायत सदस्य, सरपंच और ग्राम विकास में कार्यरत अधिकारी आदि शामिल हैं.

बेहतर प्रशिक्षण सुविधाएं

इस प्रशिक्षण केंद्र में स्क्रीन के माध्यम से प्रशिक्षण की सुविधा होगी. इसके अलावा प्रशिक्षण के दौरान आवास की व्यवस्था सिविल लाइंस विधायक आवास में करने की योजना है. इसलिए विधायक आवास का उपयोग किया जाएगा. यह ग्राम विकास विभाग की योजना है और सांस्कृतिक विभाग इस परियोजना को नोडल एजेंसी के रूप में क्रियान्वित करेगा.

आशा भोसले को महाराष्ट्र भूषण 

उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र सरकार द्वारा दिया जाने वाला सर्वोच्च पुरस्कार महाराष्ट्र भूषण इस वर्ष प्रसिद्ध गायिका आशा भोसले को दिया जाएगा. महाराष्ट्र भूषण पुरस्कार समारोह शीतकालीन सत्र के दौरान 21 दिसंबर को नागपुर के यशवंत स्टेडियम में आयोजित किया जाना है. दो दिवसीय सांस्कृतिक कार्यक्रम के लिए सांस्कृतिक विभाग की ओर से जोर-शोर से तैयारियां की जा रही हैं. पुरस्कार की शुरुआत 1997 में गठबंधन सरकार के दौरान हुई थी. इस पुरस्कार के विजेता को 10  लाख का नकद पुरस्कार और एक प्रशस्ति पत्र दिया जाता है.

जनजातीय एवं वन विश्वविद्यालय का दर्जा

राज्य सरकार ने आगामी शीतकालीन सत्र या मार्च सत्र में गोंडवाना विश्वविद्यालय को जनजातीय एवं वन विश्वविद्यालय का दर्जा देने का प्रस्ताव रखा है. उच्च शिक्षा विभाग को इसके लिए कानून बनाना होगा. मुनगंटीवार ने बताया कि इस संबंधित कानून की मंजूरी के बाद विश्वविद्यालय को केंद्र सरकार के आदिवासी विभाग के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय फंड मिलने का रास्ता साफ हो जाएगा.