नागपुर

Published: Jul 13, 2022 02:19 AM IST

Mahavitaranहर महीने 1,300 करोड़ वसूलेगी महावितरण, बिजली खरीदी की राशि में अदानी की अदायगी भी जोड़ने का संगठन ने लगाया आरोप

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

नागपुर. ईंधन समायोजन के नाम पर 5 महीनों के लिए लगभग 20 प्रतिशत बिजली दर बढ़ोतरी को महावितरण की मांग पर मर्क ने मंजूरी दे दी है. राज्यभर के 2.75 करोड़ बिजली ग्राहकों की जेब पर इसका भार पड़ रहा है. महाराष्ट्र विज ग्राहक संगठन के अध्यक्ष प्रताप होगाड़े ने आरोप लगाया है कि बीते दिनों अदानी पावर महाराष्ट्र लिमिटेड कंपनी से जो हाइड्रो पावर निर्मिति करार हुआ है, उसकी अदायगी के लिए ग्राहकों पर यह भार लादने काम किया गया है. जून से अक्टूबर 2022 इन 5 महीनों तक हर महीने ग्राहकों से 1,300 करोड़ रुपयों के लगभग वसूली महावितरण करेगी. जून का बिल भी बढ़ी हुई दर से आना शुरू हो गया है. यह अतिरक्ति बोझ प्रति यूनिट लगभग 1.30 रुपये है. होगाड़े ने दावा किया कि गर्मी के दिनों में 3 महीनों में महावितरण ने सिर्फ 1,448 करोड़ रुपयों की बिजली ओपन मार्केट से खरीदी थी और उसे इतनी ही रकम नियमानुसार ग्राहकों से वसूल करनी चाहिए थी. लेकिन इसके बावजूद करीब 5 गुना अधिक वसूली को मंजूरी ली गई.

आगे भी जारी रहेगी बढ़ी हुई दर

महावितरण द्वारा मार्च से मई 2022 इन 3 महीनों के काल में ओपन मार्केट से बिजली खरीदी गई ताकि लोडशेडिंग की नौबत न आए. मार्च में 110 करोड़, अप्रैल में 408 करोड़ और मई में 930 करोड़ की खरीदी की गई जो कुल 1,448 करोड़ की हुई. लेकिन महावितरण ने मर्क को 7,764 करोड़ रुपयों की मंजूरी का प्रस्ताव वितरण हानि का हवाला देते हुए दिया था. होगाड़े ने दावा किया कि इसमें अदानी पावर को देने वाली रकम का 50 फीसदी 6,253 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. इस तरह कुल मंजूरी 7,764 करोड़ रुपयों की है जिसमें से 6,538 करोड़ रुपयों की वसूली जून से अक्टूबर तक 5 महीनों में की जाएगी. शेष 1,226 करोड़ रुपयों की वसूली आगे दिसंबर से किए जाने का दावा किया गया है. 

35 फीसदी वितरण हानि

महावितरण ने ईंधन समायोजन आकार के हिसाब में 14 प्रतिशत हानि की बजाय मार्च में 35 प्रतिशत, अप्रैल में 30 प्रतिशत और मई में 26 प्रतिशत दिखाकर मर्क से मान्यता ली है. आरोप लगाया कि महानिर्मिति कंपनी की निष्क्रियता, महावितरण के मनमानीपूर्ण खर्च और लचर कार्यप्रणाली से होने वाले नुकसान और अदानी को दी जाने वाली रकम का बोझ ईमानदार ग्राहकों पर डालने का कार्य किया गया है.