नागपुर
Published: Dec 16, 2022 01:33 AM ISTGMCHमेडिकल: वित्तीय स्वतंत्रता में वृद्धि जरूरी, राज्य सरकार को कुछ ज्यादा करने की आवश्यकता- हाई कोर्ट
- 3 लाख तक खरीदी के अधिकार बढ़ाकर किए 10 लाख
नागपुर. मेडिकल में उपकरणों की कमी के कारण इलाज पर पड़ते प्रभाव तथा प्रत्येक उपकरण, दवा या स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़ी सामग्री के लिए हाफकिन पर निर्भर होने का मसला हाई कोर्ट के समक्ष उठाया गया. इस संदर्भ में हाई कोर्ट ने खरीदी का विकेंद्रीकरण करने के कई बार आदेश जारी किए किंतु मामला अटका हुआ है. अब हाई कोर्ट ने कहा कि मेडिकल में मरीजों को इमरजेंसी में बिना किसी देरी के स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए वित्तीय स्वतंत्रता में इजाफा करना जरूरी है. हालांकि राज्य सरकार ने इसमें इजाफा तो किया लेकिन वह पर्याप्त नहीं है. अत: राज्य सरकार को कुछ ज्यादा करने की आवश्यकता है. अदालत मित्र के रूप में अधि. अनूप गिल्डा, राज्य सरकार की ओर से विशेष वकील अधि. फिरदौस मिर्जा ने पैरवी की. अदालत को बताया गया कि पहले 3 लाख तक की खरीदी का अधिकार था जिसे अब 10 लाख रुपए किया गया है. इस संदर्भ में अदालत ने आदेश में कहा कि मेडिकल क्षेत्र के वर्तमान मार्केट स्थिति को देखा जाए तो यह निधि पर्याप्त नहीं है.
5 वर्ष का डेटा दें डीन
पिछले 5 वर्ष में दवा और मेडिकल उपकरणों की आवश्यकता को लेकर कितनी बार अनुरोध पत्र भेजा गया. इसकी प्रत्येक माह और तारीखों के साथ डेटा प्रस्तुत करने के आदेश मेडिकल कॉलेज के डीन को हाई कोर्ट ने दिए. साथ ही हाफकिन इंस्टीट्यूट की ओर से कितनी जरूरतों को पूरा किया गया. इसका भी लेखा-जोखा देने के आदेश दिए. अदालत ने आदेश में स्पष्ट किया कि मेडिसिन और मेडिकल उपकरण खरीदी का विकेंद्रीकरण करने के कई बार आदेश राज्य सरकार को दिए गए जिसके लिए वित्तीय स्वतंत्रता देना भी जरूरी है. अंत में इसका लाभ मरीजों को ही होगा. राज्य सरकार के विभिन्न विभाग वित्तीय स्वतंत्रता का उपभोग कर रहे हैं. आवश्यकता के अनुसार उन्हें खरीदी की अनुमति के अधिकार है लेकिन इस तरह की स्वतंत्रता सरकारी अस्पतालों को नहीं है.
हाफकिन से ही खरीदी की बाध्यता
-अदालत ने आदेश में कहा कि मेडिसीन या मेडिकल उपकरणों की खरीदी केवल हाफकिन से ही खरीदी की बाध्यता सरकारी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पतालों पर है.
-संभवत: क्वालिटी मेडिसिन या उपकरण उपलब्ध कराने के लिए इस तरह की केंद्रीय खरीदी नीति लागू की गई हो लेकिन अब स्थिति बदल गई है. सरकारी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में उपचार ले रहे मरीज और उनका उपचार कर रहे डॉक्टरों को आवश्यक दवा और उपकरणों को लेकर आपत्ति रहती है.
-कई बार इमरजेंसी में मरीजों का इलाज करना होता है. ऐसे समय में इलाज कर रहे डॉक्टर अत्यावश्यक दवा और उपकरणों का अभाव पाते हैं जो एक वेल्फेयर स्टेट के लिए अच्छा नहीं है.