नागपुर

Published: Apr 08, 2021 12:59 AM IST

लॉकडाउनव्यापारियों का धैर्य खत्म, हर जगह विरोध, खत्म हो जाएंगे लॉकडाउन में

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

नागपुर. लॉकडाउन को लेकर व्यापारियों का धैर्य खत्म हो गया है. घाटा सहना उनके वश में नहीं रहा है, इसलिए वे बड़े पैमाने पर सड़कों पर उतर रहे हैं और जगह-जगह विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. बुधवार को भी इतवारी, बर्डी, सराफा बाजार, गांधीबाग में अलग-अलग संगठनों के बैनर तले विरोध प्रदर्शन किया गया. व्यापारियों काले कपड़े पहने और हाथ में नारे लिखे तख्ते लिए लॉकडाउन खत्म करने की मांग कर रहे थे. दोपहर में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने राज्य के कई व्यापारिक संगठनों के साथ चर्चा की है और उन्हें 72 घंटे तक शांत रहने की अपील की है. परंतु व्यापारी मानने वाले नहीं दिख रहे हैं और व्यापारियों ने सरकार को 48 घंटे का समय दिया है.

खोल देंगे दूकानें

व्यापारियों ने कहा है कि अगर सरकार 48 घंटे में कोई निर्णय नहीं लेती है, तो वे दूकानें खोल देंगे. इसके लिए चाहे सरकार को जो भी कदम उठाना है उठाये. सीताबर्डी, इतवारी, हंसापुरी के व्यापारी सुबह से ही आंदोलन करते हुए देखे गए. वहीं, सराफा बाजार में सराफा कारोबारियों ने सुबह 11 बजे से विरोध प्रदर्शन किया. सभी का एक ही स्वर में कहना है कि उनके साथ विश्वासघात किया गया है. व्यापारियों की कमर टूट जाएगी. 2 दिनों के लॉकडाउन का कोई भी व्यापारी विरोध नहीं कर रहा था, लेकिन 30 अप्रैल तक संपूर्ण लॉकडाउन होने की खबर से व्यापारी विचलित हो गए हैं. यही कारण है कि पूरे राज्य में सरकार के निर्णय का विरोध चरम पर पहुंच गया है. 

गुढ़ीपाड़वा का पर्व

वास्तव में गुढ़ीपाड़वा 13 अप्रैल को है. इस दिन सराफा, इलेक्ट्रॉनिक्स गुड्स, वाहन, आवास सहित विभिन्न चीजों की खरीदी जम कर होती है. हर किसी को गुढ़ीपाड़वा का इंतजार रहता है. व्यापारियों को लग रहा है कि बहुत बड़ा बाजार खत्म हो जाएगा. पिछले एक वर्ष वैसे भी बेकार गया है. यही कारण है कि हर सेक्टर के व्यापारी विरोध में उतर रहे हैं. 

नेता आयें, संगठन गायब

पिछले 2 दिनों से व्यापारिक संगठन मोर्चा संभाले हुए थे. वे अपने स्तर पर अच्छी खासी विरोध कर रहे थे. लेकिन बुधवार को अचानक भाजपा के विधायक विरोध प्रदर्शन के लिए आ गए. विधायकों के आने से कई संगठनों ने दूरी बना ली है. कुछ व्यापारिक संगठनों का कहना है कि व्यापारी अपनी लड़ाई लड़ने के लिए सक्षम हैं. किसी एक पार्टी के नेताओं के आने से लड़ाई राजनीतिक रूप ले लेगी. बेहतर होगा कि व्यापारियों को लड़ाई लड़ने देना चाहिए. अगर कुछ करना ही है तो सरकार से बात करें और न्याय दिलाये. लेकिन इस प्रकार सड़क पर उतरकर विरोध प्रदर्शन करने से व्यापारिक संगठनों को नुकसान ही होगा.