नागपुर

Published: Jul 08, 2021 11:46 PM IST

नागपुरमेडिकल छात्रों के खिलाफ कार्रवाई नहीं, फैसले का पालन करने का विद्यार्थी दें शपथपत्र: हाई कोर्ट

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

नागपुर. राज्य सरकार की ओर से फ्रीशिप को लेकर 19 अगस्त 1995 को अध्यादेश जारी किया गया था जिसके अनुसार छात्रों द्वारा भरी जानेवाली फीस का वापस भुगतान करना अनिवार्य था. किंतु अब सरकार द्वारा दी जानेवाली फ्रीशिप और पाठ्यक्रम की कुल फीस के बीच बची निधि की वसूली को लेकर कार्रवाई होने के भय से मेडिकल छात्रों द्वारा हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया.

इस पर सुनवाई के बाद न्यायाधीश सुनील शुक्रे और न्यायाधीश अनिल किल्लोर ने सरकारी मेडिकल कॉलेज और इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज के विभिन्न सत्रों में पढ़ रहे छात्रों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई नहीं करने के आदेश प्रशासन को दिए. साथ ही अदालत ने इस याचिका पर फैसला होने के बाद यदि छात्रों के विरोध में फैसला आता है तो शुल्क अदा करने का शपथपत्र देने के आदेश छात्रों को दिए. याचिकाकर्ता पंकज पटले की ओर से अधि. आनंद परचुरे और सरकार की ओर से अति. सरकारी वकील आनंद फुलझेले ने पैरवी की.

अदालत पहले भी दे चुकी है फैसला

सुनवाई के दौरान अधि. परचुरे ने कहा कि शुल्क अदा नहीं करने पर कड़ी कार्रवाई करने की चेतावनी छात्रों को दी गई है जिससे उनके खिलाफ कार्रवाई होने से इनकार नहीं किया जा सकता है. अत: प्रशासन को कार्रवाई से रोकना जरूरी है. एक ओर जहां सरकार द्वारा अध्यादेश जारी किया गया था.

वहीं दूसरी ओर हाई कोर्ट की औरंगाबाद बेंच ने 11 अप्रैल 2018 को इसी तरह के एक मामले में फैसला सुनाया है. अधि. परचुरे ने कहा कि फ्रीशिप की नीति में परिवर्तन कर 16 मार्च 2021 को सरकार की ओर से नया अध्यादेश जारी किया गया है. यदि नये अध्यादेश की वैधता पर मुहर भी लगती है तो इस स्थिति में भी अध्यादेश की शर्तें भविष्य में छात्रों की नई बैच पर लागू होंगी. 

राहत देने का सरकारी पक्ष ने किया विरोध