नागपुर

Published: Oct 19, 2021 02:57 AM IST

Online Electionविषय समितियों के ऑनलाइन चुनाव को चुनौती, हाई कोर्ट ने राहत देने से किया इनकार

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

नागपुर. कोरोना महामारी की त्रासदी कम होने के बाद राज्य सरकार की ओर से पाबंदियां शिथिल की गई है. दूकान, रेस्टारेन्ट, माल्स और धार्मिक स्थलों को भी खोलने के निर्देश जारी किए जा चुके है. सरकारी, अर्ध सरकारी कार्यालय और निजी कार्यालय भी पूरी क्षमता से कार्य कर रहे हैं. यहां तक कि बेरोकटोक जनता यहां से वहां जा रही है. किंतु विषय समितियों के चुनाव अभी भी ऑनलाइन लेने की पाबंदियां लगाई गई है. इसके खिलाफ राजकुमार कुथे की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई.

याचिका पर सुनवाई के बाद न्यायाधीश सुनील शुक्रे और न्यायाधीश अनिल किल्लोर ने सरकार की ओर से एतियाती कदम उठाकर कुछ मामलों में छूट देने का हवाला देते हुए फिलहाल कुछ पाबंदियां जारी होने का कारण देकर याचिकाकर्ता को राहत देने से साफ इनकार कर दिया. याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधि. आर.एल. खापरे, सरकार की ओर से अधि. ठाकरे और अन्य प्रतिवादी की ओर से अधि. महेश धात्रक ने पैरवी की.

कोविड की पाबंदियां नहीं, चल रही बैठकें

याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे अधि. खापरे ने कहा कि नगर विकास विभाग की ओर से 11 अक्टूबर 2021 को गोंदिया जिलाधिकारी को पत्र जारी किया गया. जिसमें ऑनलाइन पद्धति से विषय समितियों के चुनाव कराने के निर्देश जारी किए गए. 28 जून 2021 को सरकार की ओर से जारी निर्देशों के अनुसार ही चुनाव के लिए प्रक्रिया अपनाने के भी निर्देश जारी किए गए. अधि. खापरे ने कहा कि वर्तमान में कोविड को लेकर किसी तरह की पाबंदियां नहीं है. यहां तक कि बैठकें भी पहले की तरह सामान्य रूप से हो रही है. कई तरह की छूट देने के बाद अब इस चुनाव के लिए ऑनलाइन पद्धति से बैठक लेने का कोई औचित्य दिखाई नहीं दे रहा है. केवल असाधारण स्थिति में ही इस तरह से वर्चुअल बैठक ली जा सकती है. 

सरकार की SOP बरकरार

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि इस तरह की बैठकें आयोजित करने के लिए नियम-कानून प्रदत्त है. इसके अनुसार ही बैठकें होनी चाहिए. इस संदर्भ में अदालत ने कहा कि निश्चित ही कानून और नियम तय है. अत: उसके अनुसार ही बैठकें हो, इसे लेकर कोई विवाद नहीं है. जब कोई प्रक्रिया निर्धारित है तो उसका पालन करना अनिवार्य है. किंतु धारा 81 के अनुसार इसमें असाधारण अवस्था का भी विकल्प दिया गया है. इस असाधारण वस्तुस्थिति के अनुसार बैठकों का आयोजन करने की स्वतंत्रता भी प्रदान है. अदालत ने आदेश में कहा कि वर्तमान मामले में 11 अक्टूबर 2021 को भेजे गए पत्र में 28 जून 2021 को जारी एसओपी का पालन करने की हिदायत दी गई है. पत्राचार के अनुसार पूरी तरह से कोरोना की पाबंदियां नहीं हटाई गई है. केवल कुछ पाबंदियों को हटाया गया है. पाबंदियां हटाने के लिए सुरक्षात्मक कदम उठाए गए है.