नागपुर

Published: Oct 30, 2023 07:30 AM IST

Pali Language in UPSCNagpur News: UPSC में पाली भाषा, केंद्र को अंतिम मौका, हाई कोर्ट ने मांगा शपथपत्र

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
कंटेन्ट एडिटरनवभारत.कॉम

नागपुर. यूपीएससी में पाली भाषा को विषय के रूप में शामिल करने के लिए वर्ष 2015 में ही हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई थी. याचिका पर हाई कोर्ट द्वारा दिए गए आदेशों के अनुसार डॉ. बी.एस. बासवान की अध्यक्षता वाली एक्सपर्ट समिति को आवेदन तो दिया गया. किंतु सकारात्मक निर्णय लेने का आश्वासन देने के बाद भी इसे यूपीएससी में शामिल नहीं किया गया. जिससे अब पुन: डॉ. बालचंद्र खांडेकर की ओर से हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई. इस पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से जवाब दायर करने के लिए समय देने की गुहार लगाई गई. जिसके बाद न्यायाधीश अतुल चांदुरकर और न्यायाधीश अभय मंत्री ने केंद्रीय कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय तथा गृह मंत्रालय को शपथपत्र दायर करने का अंतिम मौका प्रदान किया. याचिकाकर्ता की ओर से अधि. शैलेश नारनवरे, केंद्र सरकार की ओर से अधि. एस.ए.चौधरी और राज्य सरकार की ओर से अधि. रितू शर्मा ने पैरवी की.

2500 वर्ष पुराना पाली भाषा का इतिहास

याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे अधि. नारनवरे ने कहा कि प्राचीन भाषा पाली का 2500 वर्ष पुराना इतिहास है. देशभर की 50 से अधिक यूनिवर्सिटी में पाली भाषा पढ़ाई जाती है. इसके अलावा 100 से अधिक कॉलेजों में भी इसका अध्यापन होता है. यूजीसी की ओर से पाली भाषा पर संशोधन के लिए संशोधकों को वित्तीय सहयोग भी दिया जाता है. इसके बावजूद केंद्र सरकार की ओर से नोटिफिकेशन जारी कर वैकल्पिक विषय की सूची से पाली भाषा को निकाल लेना तर्कसंगत नहीं है. सरकार की ओर से जारी इन नोटिफिकेशन को निरस्त करने के आदेश देने का अनुरोध अदालत से किया गया.

पाली को बताया विदेशी भाषा

यूपीएससी का मानना है कि निगावेकर समिति की ओर से इस संदर्भ में सुझाव दिए गए थे. समिति के सुझावों के अनुसार चूंकि 8वें शेडूल्य और अंग्रेजी भाषा संविधान के अनुच्छेद 343 के अनुसार प्रशासकीय भाषा है, अत: इन्हें छोड़कर वैकल्पिक विषयों में से सभी विदेशी भाषा को निकाला जाना चाहिए. इसके अलावा परीक्षा की दृष्टिकोण से क्या रखा जाए, इसका विशेष अधिकार एक्सपर्ट कमेटी के पास है. अत: संविधान के अुच्छेद 226 द्वारा न्यायालय को प्रदत्त अधिकारों के बाद भी इस संदर्भ में कोई आदेश जारी नहीं हो सकते हैं. अदालत का मानना था कि भारतीय सामाजिक और धार्मिक इतिहास में पाली भाषा की वैभवशाली संस्कृति रही है. भगवान बुद्ध के उपदेश हजारों वर्ष पूर्व के इसी पाली भाषा में रहे हैं. पूरे विश्व में भारत को बुद्ध की भूमि बोला जाता है. भगवान बुद्ध के उपदेश जो भारत के मूल में है, पूरे विश्व में गए हैं. यह त्रासदीपूर्ण है कि जिस भाषा में भगवान बुद्ध ने उपदेश दिए, उसी पाली भाषा को यूपीएससी  के वैकल्पिक विषय की सूची से बाहर कर दिया गया है.