नागपुर

Published: Jan 24, 2022 03:09 AM IST

Panchpaoli Flyoverढहने की कगार पर पांचपावली ब्रिज, उखड़ गए हैं गर्डर के ज्वाइंट

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

नागपुर. उत्तर व पूर्व नागपुर को जोड़ने वाले पांचपावली ब्रिज की हालत बेहद जर्जर हो चुकी है. नागरिकों को तो यह भय सता रहा है कि कहीं यह ढह ही न जाए. दरअसल पुल की हालत सचमुच खस्ता हो चुकी है और संबंधित विभाग ध्यान ही नहीं दे रहा है. कमाल चौक से गोलीबार चौक तक जाने वाले इस ब्रिज के गर्डर के ज्वाइंट ही इस कदर उखड़ गए हैं कि सुराख हो गए हैं. ऊपर पुल से नीचे का रोड आरपार दिखने लगा है. न तो इसका सुधार कार्य किया जा रहा है और न ही नया ब्रिज बनाया जा रहा है.

नागरिकों ने बताया कि ब्रिज की उम्र खत्म हो चुकी है. नया ब्रिज बनाने की मांग कई बार की जा चुकी है लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ है. इस ब्रिज पर 24 घंटे वाहनों का भारी दबाव बना रहता है. हालत इतनी खस्ता है कि ब्रिज के गर्डर के ज्वाइंट ही उखड़ जाने के कारण वह ब्रेकर का काम कर रहे हैं. अगर जरा सी असावधानी बरती तो वाहन चालक दुर्घटनाग्रस्त हो सकता है. सिटी में कई नये-नये ओवरब्रिज बनकर पूरे हो चुके हैं लेकिन इस पुराने ब्रिज पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है. लगता है कभी कोई बड़ा हादसा होगा तभी प्रशासन जागेगा.

नजर चूकी तो दुर्घटना तय

इस ब्रिज में कुल 33 गर्डर हैं. हालत यह हो चुकी है कि इनमें 10 गर्डर के ज्वाइंट खुल गए हैं. ज्वाइंट उखड़ने से आर-पार दिखता है. इनकी मरम्मत तक नहीं किया जाना आश्चर्य की बात है. इतना ही नहीं, ब्रिज के बीच में डामरीकरण भी पूरी तरह उधड़ गया है. गड्ढे बन गए हैं. वाहन चालकों और खासकर दोपहिया वाहन चालकों को तो पूरी सतर्कता बरतनी पड़ती है. अगर नजर चूकी तो दुर्घटना तय है. ब्रिज बेहद कमजोर हो गया है और इसकी जगह दूसरा बनाने की जरूरत है. 

डामरीकरण तक नहीं किया

ब्रिज पर 24 घंटे वाहनों का रेला लगा रहता है. बाजार क्षेत्र होने के कारण उत्तर से पूर्व नागपुर की ओर जाने-आने वाले नागरिक व व्यापारी इसी ब्रिज का इस्तेमाल करते हैं. इस ब्रिज पर बीच से भानखेड़ा की साइड में उतरने के लिए जंक्शन बनाया गया है. इस जंक्शन प्वाइंट पर ज्वाइंट पूरी तरह उखड़ गया है. नाली सा बन गया है. ऐसा ही हर ज्वाइंट का हाल है. मतलब 33 गर्डर वाले इस ब्रिज में 33 स्पीड ब्रेकर तो मटेरियल उखड़ने से बन गए हैं. गड्ढे अलग से हैं जो वाहन चालकों के लिए खतरा बने हुए हैं. दुर्भाग्य की बात यह है कि संबंधित विभाग ने डामरीकरण तक नहीं किया और न ही ज्वाइंट को भरने के लिए मरम्मत ही की है.