नागपुर

Published: Sep 18, 2021 01:59 AM IST

PoliticsOBC आरक्षण पर राजनीतिक दल बेखबर, तायवाडे ने की कड़ी आलोचना

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

नागपुर. ओबीसी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. बबन तायवाडे ने ओबीसी आरक्षण के मुद्दे को राजनीतिक अखाड़ा बनाने के सभी दलों के फैसले पर नाराजगी जताई. राज्य सरकार के अध्यादेश के बाद भी इस समुदाय को पूर्ण आरक्षण नहीं मिलेगा. उन्होंने उम्मीद जताई कि सभी राजनीतिक दल समझेंगे कि फैसला अब केंद्र के हाथ में है.

उन्होंने शुक्रवार को प्रेस-कॉन्फ्रेंस में कहा कि ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण नहीं मिलेगा और तब तक उन्हें किसी भी संवैधानिक पद पर रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं होगा. मैंने राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की सदस्यता से इस्तीफा राज्यपाल को भेज दिया है. डॉ. तायवाडे ने कहा कि ओबीसी आरक्षण के मुद्दे पर सभी राजनीतिक दल बेखबर हैं. उन्हें आरक्षण का मसला समझ में नहीं आया.

उनका राजनीतिक विवाद समाज के लिए एक बड़ी क्षति है. इस नुकसान की अनुमति राष्ट्रीय ओबीसी महासंघ कभी नहीं देगा इसलिए जब तक समाज को 27 प्रतिशत आरक्षण नहीं मिल जाता तब तक लड़ाई जारी रहेगी. इस दौरान, उन्होंने कहा कि महासंघ की ओर से सभी जिलों के पदाधिकारी महासंघ की मांगों को राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, सामाजिक न्याय मंत्री, सोनिया गांधी, राहुल गांधी और शरद पवार को रविवार, 22 सितंबर को भेजेंगे. इस मौके पर शरद वानखेड़े, राजकुमार घुले, त्रिशरण सहारे, संजय पन्नासे, वृंदा ठाकरे, गुणेश्वर आरीकर, सुरेंद्र मोरे, रोशन कुंभलकर उपस्थित थे.

केवल 20 प्रतिशत आरक्षण

डॉ. तायवाडे ने कहा कि ओबीसी के आरक्षण के मुद्दे पर राजनीतिक दलों को कोई जानकारी नहीं है. अध्यादेश के बाद भी ओबीसी घाटे में है. अगर फिलहाल आरक्षण दिया भी जाता है तो सभी जिलों में एक जैसा नहीं होगा. अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को कुल जनसंख्या का 30 प्रतिशत आरक्षण प्राप्त है. बाकी 20 फीसदी आरक्षण ओबीसी को मिलेगा. अब तक 27 प्रतिशत आरक्षण राष्ट्रीय ओबीसी महासंघ का लक्ष्य है इसलिए पद से इस्तीफा देकर आरक्षण का लक्ष्य पूरा करना है.