नागपुर

Published: Jul 08, 2021 11:42 PM IST

Plasticबरसाती प्लास्टिक भी हुआ महंगा- 1,000 रुपये प्रति क्विंटल की आई तेजी

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

नागपुर. पेट्रोलियम पदार्थों की कीमत में हो रही बढ़ोतरी का असर अब गरीबों और किसानों की छतरी कही जाने वाली बरसाती प्लास्टिक पर भी देखने को मिल रहा है. कच्चे तेल से प्लास्टिक दाना बनता है. इसी दाने से बरसाती प्लास्टिक, तिरपाल सहित अन्य प्लास्टिक का उत्पादन होता है. तेल के बढ़ते भाव से बरसाती प्लास्टिक की कीमत में प्रति क्विंटल एक हजार रुपये की तेजी आई है. चिल्लर में इसकी कीमत 110 रुपये प्रति किलोग्राम से बढ़कर 145 से 150 रुपये हो गई है. व्यापारियों के अनुसार पेट्रोलियम पदार्थों के भाव इसी तरह बढ़ते रहेंगे तो आने वाले समय में इसमें और तेजी आ सकती है. 

गरीबों को लग रहा झटका

प्लास्टिक व्यापारियों के अनुसार झोपड़पट्टी या फिर खपरैल के मकान में रहने वाले गरीब इसका उपयोग करते हैं. इसके साथ ही धान सहित अनाज व अन्य उत्पादों को बारिश से बचाने के लिए किसान और मंडी के व्यापारियों द्वारा भी बरसाती प्लास्टिक के साथ तिरपाल की डिमांड रहती है. प्लास्टिक निर्माता कंपनियां सफेद व काले रंग के अलावा नीला, पीला व लाल रंग में भी बरसाती प्लास्टिक का उत्पादन करती हैं.

इसमें सफेद रंग की बरसाती प्लास्टिक ज्यादा बेहतर मानी जाती है. इसके कारण इसकी मांग भी बहुत है. पेट्रोलियम पदार्थों की कीमत बढ़ने का असर सभी किस्म की बरसाती प्लास्टिक उत्पाद पर देखा जा रहा है. काले रंग की बरसाती प्लास्टिक की कीमत पिछले वर्ष 80 रुपये प्रति किलोग्राम थी. इस वर्ष 90 रुपये प्रति किलोग्राम की कीमत से बिक रही है. इसी तरह रंगीन बरसाती प्लास्टिक पिछले वर्ष 110 रुपये प्रति किलोग्राम थी जो इस वर्ष 150 रुपये किलोग्राम की कीमत से बिक रही है.

ग्रामीण क्षेत्र में बढ़ी डिमांड

व्यापारी श्याम गुप्ता बताते हैं कि पेट्रोल व डीजल की कीमतों में तेजी का चौतरफा असर देखने को मिल रहा है. क्रूड ऑयल की कीमतों में बढ़ोतरी का असर यह है कि गरीबों की छतरी बरसाती प्लास्टिक की कीमतें आसमान छूने लगी हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में इसकी मांग भी खुल गई है. बारिश के दौरान पूरे विदर्भ में इसका 30 से 35 करोड़ रुपये का बिजनेस होता है.