नागपुर

Published: Oct 20, 2023 05:01 AM IST

Ramdaspeth Garbaरामदासपेठ गरबा: अनुमति रद्द कर कार्रवाई करें, HC पुलिस को नोटिस

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
कंटेन्ट एडिटरनवभारत.कॉम
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नागपुर. रामदासपेठ स्थित मोर हिन्दी अप्पर प्राइमरी स्कूल के मैदान पर आयोजित होने वाले गरबा या डांडिया के खिलाफ स्थानीय निवासी पवन सारडा ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की. याचिका पर गुरुवार को सुनवाई के बाद न्यायाधीश विनय जोशी और न्यायाधीश एमडब्ल्यू चांदवानी ने राज्य सरकार के गृह विभाग, सीपी, एसीपी, सीताबर्डी के वरिष्ठ पीआई और रामदासपेठ प्लॉट ओनर्स एंड रेसिडेन्ट्स एसोसिएशन को नोटिस जारी कर तुरंत जवाब दायर करने के आदेश दिए.

याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया कि एसोसिएशन द्वारा अनुमति की शर्तों का सरेआम उल्लंघन किया जा रहा है. ऐसे में तुरंत अनुमति रद्द कर संबंधित के खिलाफ कार्रवाई की जाए. याचिकाकर्ता की ओर से अधि. आरएम भांगडे और राज्य सरकार की ओर से सहायक सरकारी वकील एबी बदर ने पैरवी की. उल्लेखनीय है कि हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने रामदासपेठ प्लॉट ओनर्स एंड रेसिडेन्ट्स एसोसिएशन की याचिका पर सुनवाई के बाद अनुमति के लिए मनपा या राज्य सरकार के पास जाने के आदेश दिए थे. 

समय और डीजे की लगी है पाबंदी

याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे वकील ने कहा कि 15 से 23 अक्टूबर तक संबंधित स्थल पर डांडिया-गरबा का आयोजन किया जा रहा है. मनपा और पुलिस की ओर से कड़ी शर्तों के साथ अनुमति प्रदान की गई है जिसमें समय और निर्धारित समय के बाद डीजे पर पाबंदी लगाई गई है किंतु आयोजक शर्तों का सरासर उल्लंघन कर रहे हैं. इससे आसपास के लोगों को परेशानी झेलनी पड़ रही है. सुनवाई के दौरान आयोजकों को दी गई अनुमति रद्द करने के आदेश देने का अनुरोध अदालत से किया गया. उल्लेखनीय है कि इसके पूर्व भी हाई कोर्ट में इसी तरह की याचिका दायर की गई थी जिसमें अदालत की ओर से बिना डीजे और साउंड सिस्टम के परंपरागत तरीके से गरबा का आयोजन करने का आदेश दिया गया था.

2019 में एसो. के साथ एग्रीमेंट

याचिकाकर्ता सारडा की ओर से बताया गया कि रामदासपेठ परिसर साइलेंस जोन है जिससे यहां पर लाउडस्पीकर या डीजे आदि का इस्तेमाल नहीं हो सकता है. सुनवाई के दौरान एसोसिएशन के साथ 2019 में हुए एग्रीमेंट का भी हवाला दिया गया. गत समय इसी तरह से सीताबर्डी पुलिस ने रामदासपेठ रेसिडेन्ट्स एसोसिएशन को गरबा आयोजित करने की मंजूरी प्रदान की थी किंतु हाई कोर्ट के कड़े तेवर देखने के बाद मंजूरी निरस्त कर दी थी.