नागपुर

Published: May 09, 2022 02:15 AM IST

PKV Departmental Workshopकपास की उत्तम फसल के लिए हो रिसर्च, केदार ने मार्गदर्शन शिविर के आयोजन के दिये निर्देश

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

नागपुर. पशु संवर्धन मंत्री सुनील केदार ने कहा कि विदर्भ में कुल रकबा के 30 फीसदी क्षेत्र में कपास की खेती होती है लेकिन अक्सर कीटों के हमले और प्राकृतिक आपदा के चलते अपेक्षित उपज नहीं मिल पाती. किसानों को उत्तम फसल लेने के लिए विविध योजनाओं व कीट व्यवस्थापन के संदर्भ में जानकारी देने के लिए कृषि विभाग की ओर से ग्रामीण भागों में मार्गदर्शन शिविरों का आयोजन किया जाना चाहिए.

वे केन्द्रीय कपास संशोधन संस्था, कपास संचालनालय, विभागीय कृषि सहसंचालक कार्यालय व पंजाबराव कृषि विवि के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित कपास उत्पादक किसानों के लिए विभागीय कार्यशाला में बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि कपास को पानी भरपूर लगता है. इसके लिए ड्रिप इरिगेशन के संदर्भ मंत्रिमंडल में प्रस्ताव रखेंगे व फॉलोअप भी करेंगे. इस अवसर पर पीकेवी के उपकुलपति वी.एम. भाले, डॉ. ए.एल. वाघमारे, सहसंचालक रविंद्र भोसले, विलास खर्चे ने भी मार्गदर्शन किया.

कम खर्च में अधिक उपज लें

केदार ने कहा कि जमीन का स्वास्थ्य सुधारने के लिए नैसर्गिक खाद का उपयोग करें. बीज लेते समय सावधानी बरतें और उसका बिल लें अन्यथा धोखाधड़ी का भय रहता है. क्रॉपिंग पैटर्न कैसे तैयार करना है, उसका हिसाब कैसे रखना है, इसकी जानकारी लें. इसके साथ ही खेत में दोबारा फसल लेने से आय बढ़ती है. बोंडइल्ली नियंत्रण के लिए निंबोली अर्क का उपयोग करें. हर 10-15 दिनों में फवारणी करें ताकि कीट का नाश हो और कपास का उत्पादन बढ़े. कड़वे नीम के पेड़ अधिक से अधिक लगाएं.

उन्होंने कहा कि उत्पादन क्षेत्र और आय बढ़ाने के लिए कम दिनों में आने वाले कपास बीज का चयन करें. कम खर्च में अधिक आय कैसे हो, इसका नियोजन करें. कपास उत्पादक किसान नई तकनीकी की जानकारी विशेषज्ञों से लें और उसे अमल में लाएं. विशेषज्ञ सी.डी. माही, डॉ. वाई.जी. प्रसाद ने भी मार्गदर्शन किया. संचालन डॉ. बाबासाहब फंड व आभार प्रदर्शन डॉ. सुनील रोकडे ने किया. बड़ी संख्या में किसान उपस्थित थे.