नागपुर

Published: Oct 01, 2023 12:41 AM IST

Reservationजनसंख्या के अनुसार विधानसभा चुनाव में आरक्षण, हाई कोर्ट ने 4 तक टाली सुनवाई

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
कंटेन्ट एडिटरनवभारत.कॉम
File Photo

नागपुर. लोकतांत्रिक कार्यप्रणाली में जनसंख्या के आधार पर प्रत्येक वर्ग को चुनाव में हिस्सेदारी देने के उद्देश्य से संविधान की धारा 332 (3) में जनसंख्या के अनुसार ही सीटों का आरक्षण करने का प्रावधान किया गया है. इसी प्रावधान के अनुसार अब निकट भविष्य में होने जा रहे विधानसभा के चुनावों में भी अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के आरक्षण को सुनिश्चित कर चुनाव कराने के आदेश चुनाव आयोग को देने की मांग करते हुए पूर्व पार्षद प्रमोद तभाने ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की. याचिका पर बुधवार को सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों के अनुरोध पर अदालत ने 4 अक्टूबर तक के लिए सुनवाई स्थगित कर दी.

कानून में किया है संशोधन

केंद्रीय चुनाव आयोग की ओर से हलफनामा दायर कर बताया गया कि डीलिमिटेशन एक्ट 2002 की धारा 8 (ए) के प्रावधानों के अनुसार अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के सदस्यों के लिए सीटों का आरक्षित करने का निर्णय लिया जाता है. इस कानून में ही 2001 की जनगणना के आंकड़ों को शामिल किया गया है जिसकी वजह से वर्ष 2011 की जनगणना को लागू नहीं किया गया था. अब धारा 8(ए) में संशोधन किया गया है जिसके अनुसार वर्ष 2011 के आंकड़ों को शामिल किया गया है. याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया कि संविधान की धारा 332 (3) के अनुसार जनगणना की गई है जिसे लेकर अक्टूबर 2017 में रिपोर्ट भी प्रकाशित कर दी गई. इससे चूंकि जनसंख्या के अनुसार जातियों की गणना भी हो चुकी है, अत: इसी आधार पर चुनावों के दौरान सीटों के भी आरक्षण का पुनर्गठन किया जाना चाहिए. पुरानी जनसंख्या के आधार पर ही लंबे समय से आरक्षण निर्धारित कर चुनाव कराए जा रहे हैं. 

29 की जगह हो सकती  हैं 36 सीटें

याचिकाकर्ता ने याचिका में बताया कि वर्तमान में विधानसभा की 288 सीटों में अनुसूचित जाति-जनजाति के लिए केवल 29 सीटों का आरक्षण रखा गया है. पुरानी जनसंख्या के आधार पर यह आंकड़ा भले ही सही हो लेकिन जनगणना के उजागर हुए आंकड़ों के अनुसार सीटें बढ़कर 36 होनी चाहिए. याचिकाकर्ता की ओर से सुनवाई के दौरान बताया गया कि वर्ष 2014 में भी इस संदर्भ में याचिका दायर की गई थी लेकिन उस दौरान चुनावी कार्यक्रम घोषित होने के कारण हाई कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करने से साफ इनकार किया था लेकिन अब होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए चुनावी कार्यक्रम घोषित नहीं किया गया. अत: समय रहते पहले आरक्षण निर्धारित करने के बाद चुनावी कार्यक्रम घोषित किया जाना चाहिए.