नागपुर

Published: Sep 10, 2021 03:08 AM IST

गड़बड़ीसेवानिवृत्त हाई कोर्ट जज से होगी जांच, लेआउट लीज में गड़बड़ी पर अदालत ने दिए संकेत

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

नागपुर. प्रन्यास ने डीपी प्लान में सार्वजनिक उपयोग के तहत विभिन्न कार्यों के लिए आरक्षित जमीन को न केवल लीज पर आवंटित कर दिया, बल्कि गैरकानूनी ढंग से किए गए कार्यों पर पर्दा डालने के लिए आरक्षण रद्द करने का प्रस्ताव राज्य सरकार को भेज दिया. एक याचिका पर सुनवाई के दौरान मामला उजागर होते ही कड़ी आपत्ति जताकर हाई कोर्ट ने गुरुवार को दोपहर 2 बजे तक पूरे मामले के सभी रिकॉर्ड प्रस्तुत करने के आदेश दिए थे.

इसके अनुसार प्रन्यास और मनपा के वरिष्ठ अधिकारी दस्तावेजों के साथ पहुंच गए. सुनवाई के बाद अदालत ने सेवानिवृत्त हाई कोर्ट जज के माध्यम से इसकी जांच करने के संकेत दिए. अदालत मित्र के रूप में अधि. अनिलकुमार मूलचंदानी ने पैरवी की. उल्लेखनीय है कि मंजूर लेआउट में खरीदे गए प्लॉट को मंजूरी नहीं मिलने तथा प्लॉट आरक्षण में होने का मामला उजागर होने के बाद जगजीत सिंह शार्दुल सिंह सड्डल ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. 

सभी PU जमीनों की होगी जांच 

गुरुवार को सुनवाई के दौरान अदालत का मानना था कि इस तरह के कई मामले उजागर होने से इनकार नहीं किया जा सकता है. अत: केवल इसी लेआउट में संबंधित प्लान ही नहीं, बल्कि शहर के अन्य हिस्सों के सार्वजनिक उपयोग (पब्लिक यूटिलिटी) पर इस तरह से हुई धांधली की जांच की जाएगी. अदालत ने स्पष्ट किया कि सम्पूर्ण जांच 6 माह के भीतर पूरी होने के बाद वास्तविक आदेश जारी किए जाएंगे. मनपा और प्रन्यास द्वारा प्रेषित किए गए सभी दस्तावेजों को अदालत ने अपने पास रख लिया. अदालत मित्र का मानना था कि गुंठेवारी कानून के तहत अनधिकृत लेआउट की मंजूरी की आड़ में इस तरह से कई लेआउट का नियमितीकरण होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है. 

आयुक्त और सभापति स्वयं ध्यान दें

-अदालत का मानना था कि आरक्षण रद्द करने के लिए प्रन्यास ने 21 अक्टूबर 2015 को ही राज्य सरकार को प्रस्ताव भेज दिया था. नियमितीकरण के अंतर्गत किए गए अवैध कार्यों को वैध करने इस तरह का कारनामा किया गया. 

-नागपुर शहर की जनता के हितों के लिए इस तरह की कार्यप्रणाली किए जाने का दिखावा किया गया. प्लानिंग अथॉरिटी और उसके अधिकारियों द्वारा किए गए गैरकानूनी कारनामे की जांच के आदेश देने से पूर्व पूरे मामले के रिकॉर्ड अदालत के समक्ष होने जरूरी हैं. 

-इससे प्लॉट की हुई नीलामी, लीज प्लॉट के विकास के लिए दी गई मंजूरी, एमएन-36 और एमएन-37 प्लॉट को लेकर डीपी आरक्षण के सभी दस्तावेज प्रस्तुत करने के आदेश दिए थे.