नागपुर

Published: Feb 21, 2022 04:03 AM IST

Sand Ghatsरेत घाट : नीलामी की नीति में परिवर्तन; जवाब देने सरकार ने HC से मांगा समय

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
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नागपुर. पर्यावरण संरक्षण कानून-1986 के अनुसार पर्यावरण मंत्रालय की ओर से जारी नोटिफिकेशन के अनुसार राज्य सरकार द्वारा रेत घाट नीलामी की नीति में परिवर्तन किया गया. जिसे चुनौती देते हुए नीलामी में हिस्सा लेने के इच्छुक कुछ कम्पनियों और लोगों की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई. याचिका पर सुनवाई के बाद अदालत ने राज्य सरकार एवं अन्य को नोटिस जारी किया था. चूंकि 21 फरवरी से नीलामी शुरू होनी थी. अत: अदालत ने इसके पूर्व जवाब दायर करने को कहा था. किंतु कुछ समय प्रदान करने का अनुरोध सरकार की ओर से किया गया.

सरकारी वकील की ओर से बताया गया कि नीति में परिवर्तन क्यों किया गया. इसे लेकर 23 फरवरी तक जवाब दायर किया जाएगा. जिसके बाद न्यायाधीश नितिन जामदार और न्यायाधीश अनिल पानसरे ने समय प्रदान कर सुनवाई स्थगित कर दी. याचिकाकर्ता की ओर से अधि. श्रीरंग भांडारकर, अधि. देवेन चौहान, अधि. विश्वास कुकड़े और सरकार की ओर से सहायक सरकारी वकील एन.एस. राव ने पैरवी की. 

पर्यावरण की मंजूरी के बिना नहीं होता था उत्खनन

याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे वकीलों का मानना था कि 3 सितंबर 2019 की रेत घाट नीति के अनुसार जहां से रेत का उत्खनन निर्धारित किया जाता था, उस परिसर पर उत्खनन से पड़नेवाले पर्यावरणीय परिणामों का सर्वे किया जाता था. यहां तक कि जब तक पर्यवरण मंत्रालय की ओर से पहले मंजूरी नहीं दी जाती है, तब तक उत्खनन नहीं होता था. उस समय की नीति के अनुसार रेत घाट के उत्खनन के लिए जो भी अधिकारी पर्यावरण विभाग के संबंधित अधिकारी के समक्ष प्रस्ताव रखता था. उसे ही प्रकल्प प्रस्तावक मानकर अधिकारी के नाम पर पर्यावरण की मंजूरी प्रदान की जाती थी. 

अब ठेकेदार कम्पनी को लेना है मंजूरी

याचिकाकर्ताओं की ओर से पैरवी कर रहे वकीलों ने कहा कि 28 जनवरी 2022 को नई रेत घाट नीलामी नीति घोषित की गई. जिसके अनुसार पर्यावरण की मंजूरी के बिना ही नीलामी प्रक्रिया करने तथा नीलामी में रेत घाट लेनेवाले ठेकेदार को पर्यावरण मंत्रालय की मंजूरी के लिए आवेदन करने की शर्त रखा गई है. पर्यावरण मंत्रालय के 15 जनवरी 2016 के नोटिफिकेशन के अनुसार प्रकल्प प्रस्तावक को पर्यावरण की मंजूरी लेना था.

लीज धारकों को प्रकल्प प्रस्तावक नहीं माना जा सकता है. ऐसे में यदि इस आधार पर पर्यावरण की मंजूरी नकार दी गई तो कई तरह की परेशानियां खड़ी हो सकती है. सुनवाई के दौरान सरकारी वकील की ओर से बताया गया कि 21 फरवरी को नीलामी रखी गई थी, किंतु याचिका लंबित होने के कारण अब इसे स्थगित कर 28 फरवरी को रखा गया है. सुनवाई के बाद अदालत ने उक्त आदेश जारी किया.