नागपुर

Published: Oct 25, 2023 11:29 PM IST

Deekshabhoomi Caseदीक्षाभूमि के खिलाफ की याचिका का निपटारा, रेल विभाग के हलफनामा के बाद हाई कोर्ट का आदेश

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
कंटेन्ट एडिटरनवभारत.कॉम
File Photo

नागपुर. धम्म चक्र प्रवर्तन दिवस के लिए दूसरे शहरों से रेल गाड़ियों से आने वाले श्रद्धालुओं के बर्ताव पर आपत्ति जताते हुए इस पर अंकुश लगाने तथा रेल विभाग को उचित उपाय करने के आदेश देने का अनुरोध करते हुए अविनाश काले ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की. याचिका पर सुनवाई के दौरान रेल विभाग द्वारा हलफनामा दायर किया गया.

इस पर सुनवाई के बाद न्यायाधीश अतुल चांदूरकर और न्यायाधीश अभय मंत्री ने रेल विभाग द्वारा की गई व्यवस्था पर संतोष जताते हुए याचिका का निपटारा कर दिया. अदालत ने आदेश में कहा कि रेल विभाग के वरिष्ठ डीसीएम ने हलफनामा दायर किया जिसमें 24 और 25 अक्टूबर को यात्रियों की भीड़ को देखते हुए उचित उपाय किए जाने की जानकारी दी है. इससे अब इस मामले में अधिक आदेश की आवश्यकता नहीं है. याचिकाकर्ता की ओर से अधि. एसजी करमरकर और मध्यस्थ की ओर से अधि. एसटी चव्हाण, अधि. पायल गायकवाड, अधि. एबी मून, अधि. वीपी पानतावने, अधि. शैलेश नारनवरे ने पैरवी की.

दीक्षाभूमि की भी मध्यस्थ अर्जी

याचिका में उठाए गए मुद्दों पर आपत्ति जताते हुए कई संगठनों ने मध्यस्थ अर्जी दायर की. इसी तरह से दीक्षाभूमि की ओर से भी दायर मध्यस्थ अर्जी पर अधि. शैलेश नारनवरे ने कहा कि एक संकुचित मानसिकता से याचिका दायर की गई है. यदि किसी समय एक व्यक्ति को कोई परेशानी भी हुई हो तो यह तमाम जनता को परेशानी का सबब नहीं कहा जा सकता है. यह जनहित याचिका नहीं हो सकती. ऐसे में इसे खारिज करने की मांग अदालत से की गई. उल्लेखनीय है कि याचिकाकर्ता ने गत वर्ष हुई घटना की जानकारी देते हुए कई तरह के आरोप लगाए थे जिन्हें मध्यस्थों की ओर से सिरे से खारिज किया गया. साथ ही याचिका खारिज करने की मांग की गई.

अनुशासन में रहते हैं श्रद्धालु 

हाई कोर्ट की ओर से रेलवे को नोटिस जारी कर जवाब दायर करने का आदेश दिया गया था. अदालत ने रेल यात्रियों को दी जाने वाली सेवा और सुविधाओं के संदर्भ में उचित जानकारी रखने का आदेश दिया था. रेल विभाग की ओर से अधि. सौरभ चौधरी ने कहा कि धम्म चक्र प्रवर्तन दिवस के अवसर रेल विभाग विशेष गाड़ियों का इंतजाम करता है. अन्य मध्यस्थ की ओर से पैरवी कर रहीं अधि. पायल गायकवाड ने कहा कि याचिकाकर्ता ने केवल विरोध के भाव से दीक्षाभूमि आने वालों के खिलाफ आपत्तिजनक शब्दों का उपयोग किया है. दीक्षाभूमि पर आने वाले श्रद्धालु अनुशासन में रहते हैं. अब तक कोई भी गलत घटना होने का उदाहरण नहीं है. लाखों श्रद्धालु आने के बाद भी न तो कोई दुर्घटना हुई है और न ही पुलिस में कोई शिकायत ही दर्ज है.