नागपुर

Published: Oct 25, 2020 01:06 AM IST

नागपुरदिल्ली सरीखा ना हो जाये सिटी का हाल

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
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नागपुर. यदि समय पर प्रशासन नहीं जागा तो वह दिन दूर नहीं जबकि हरे-भरे नागपुर का वातावरण दिल्ली की तरह धुएं और काबनडाय ऑक्साइड का बंद डिब्बा बन जाएगा. नागपुर मनपा की सीमा से बाहर छोटे इंडस्ट्रियल क्षेत्र में धड़ल्ले रद्दी प्लास्टिक का धड़ल्ले से खुलकर दहन किया जा रहा है. यह कोई एक नहीं बल्कि कई छोटी-छोटी इकाइयां कर रही हैं.

उत्तर नागपुर की मनपा सीमा के बाहर कामठी तहसील शुरू होती है. इस इलाके में उप्पलवाड़ी, माझरी, कवठा गांवों के इलाके में प्लािस्टक रिसाइकिलिंग की छोटी-छोटी इकाइयां संचालित हैं. ये सूक्ष्म और लघु स्तर पर काम करती हैं. इनमें नागपुर शहर का रद्दी प्लास्टिक रोजाना कई टन की तादाद में पहुंचता है और उसे गलाकर वापस प्लास्टिक ग्रेनुएल्स में तब्दील किया जाता है ताकि ये दुबारा काम आ सके.

इसी प्लास्टिक में से धातुएं अलग करने की प्रक्रिया भी की जाती है. परंतु इसमें किसी आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल न कर प्लास्टिक को भारी मात्रा में जलाया जाता है ताकि धातु के तुकड़े निकल जाएं. इनमें प्लास्टिक के पैकेजिंग रिबन्स, खिलौने, इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद, कारों व मोपेड के बाहरी भाग शामिल हैं. इनमें से कुछ चीजों में से कीमती धातुएं अलग करने के लिए कई घंटे तक इन्हें खुले में जलाया जा रहा है.

ज्यादातर इन्हें रात में जलाया जाता है. इसका धुआं आसमान में जाकर काले बादलों सा छा रहा है. अक्टूबर महीने से उत्तर से दक्षिण की ओर हवा चलने का मौसम शुरू हो गया है जिसके परिणाम स्वरूप सारा धुआं कुछ किलोमीटर का सफर करके शहर के आसमान में छा रहा है. बिखरने के कारण यह दिखाई नहीं देता है लेकिन ग्रीन हाउस इफेक्ट के रूप में शहर का वातावरण दूषित करने के लिए यह काफी है.

पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड से सवाल

किसी भी उत्पादन को शुरू करने से पहले प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की अनुमति ली जाती है, जागरूक नागरिकों ने सवाल उठाया है कि खुलकर मनमाना प्लास्टिक दहन करने वाली उत्पादन इकाइयों के बारे में क्या प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को जानकारी नहीं है, या बिना अनुमति के ही ये इकाइयां चल रही हैं. यदि अनुमति दी है तो क्यों दी है.

दूर-दूर तक फैल रहा कचरा

इसी इलाके में कुछ और इकाइयां हैं जो धुआं फैलाने के अलावा जमीन पर दूर-दूर तक कचरा बिखेर रही हैं. यह ग्रामीण क्षेत्र होने से पशुपालकों और किसानों के मवेशी चरने के लिए घूमते हैं लेकिन दूर-दूर तक प्लास्टिक का घातक कचरा फैल रहा है.

कहीं बेकाबू न हो जाएं हालात

नागरिकों की मांग है कि समय रहते ऐसी इकाइयों पर अंकुश नहीं लगाया गया तो इकाइयों की संख्या बढ़ सकती है जिससे यह घातक धुआं फैलाने वाला बड़ा क्षेत्र बन जाएगा. जहां पर धुआं फैलता है वह शहर से सटा हुआ और नागरिकों का आवासीय इलाका है. कहीं दिल्ली जैसे बेकाबू हालात न हो जाएं.