नागपुर

Published: Oct 23, 2022 03:00 AM IST

Auto Rickshawऑटो बन रहे दुर्घटना का कारण, सवारी के लिए अचानक मार देते हैं ब्रेक

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
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नागपुर. सिटी में ऑटो और ई-रिक्शा की बाढ़ सी आ गई है. यह उनका रोजगार है इसमें आपत्ति नहीं लेकिन सड़क पर वे जिस तरह की दादागिरी से ड्राइव कर रहे हैं उससे लोगों को दुर्घटना का शिकार होना पड़ रहा है. फ्लो में चल रहे ट्रैफिक में अचानक ये सवारी बैठाने के लिए या सवारी उतारने के लिए ब्रेक मार देते हैं. यह तक नहीं देखते कि पीछे, आजू-बाजू कोई चल रहा है. पीछे चल रहे वाहन चालक को कल्पना तक नहीं होती की ऐसा होगा और वह बचते-बचते या तो भिड़ जाता है या गिर जाता है.

इस तरह की घटनाएं सिटी की सड़कों पर आम हो गई हैं. चौराहों और बाजार की भीड़ भरी सड़कों में भी इनकी मनमानी बढ़ गई है. अगर किसी ने आपत्ति की या समझाने की कोशिश की तो उसी से मुंहजोरी करने लगते हैं. ट्रैफिक सिग्नल बेखौफ तोड़ते हैं. दिनभर में एक 100 रुपये का चालान कटवा लिया तो फिर पूरी सड़क, चौराहे इनकी मालिकी के हो जाते हैं. फिर दिनभर सिग्नल जंपिंग और नो पार्किंग में भी पार्किंग बैखौफ करते हैं.

अवैध ठिया बनाकर जमा रहे अड्डा

शहर में अनेक चौराहों, बस स्टॉप्स पर इनके अवैध ठिये बन चुके हैं. मजमा लगाकर ये बैठे रहते हैं. कई जगहों पर तो ये महिलाओं को भद्दे कमेन्ट्स तक पास करते देखे गए हैं. जानकारी के अनुसार कम से कम आधे ऑटो अवैध रूप से चलाए जा रहे हैं. वर्धा रोड स्थित स्नेहनगर टी प्वाइंट पर चंद्रपुर की दिशा से आने वाली बसें सवारियां उतारने के लिए रुकती हैं. यहां ऑटो वालों ने अवैध ठिया बना लिया है. 15-20 ऑटो सुबह से रात 9 बजे तक मजमा लगाए खड़े रहते हैं. कुछ तो देश शाम यहीं शराब पीते हैं. इतना ही नहीं दिनदहाड़े रोड के किनारे लघुशंका तक करते हैं. रोड पर महिलाएं आती-जाती रहती हैं जिनका भी ख्याल इन्हें नहीं रहता. कोई रोकने की कोशिश करे तो मुंहजोरी करते हैं. ऐसा ही नजारा शहर में अनेक जगहों पर देखा जा सकता है. रेलवे स्टेशन के कॉटन मार्केट साइड, गीतांजलि परिसर, बसस्टैंड चौराहे पर भी इसी तरह का नजारा होता है लेकिन इन पर किसी तरह की कार्रवाई करने वाला कोई नहीं है.

ई-रिक्शा की भी मनमानी

सिटी में बढ़ती जा रही ई-रिक्शा भी अब परेशानी का सबब बनती जा रही है. ऐसा लगता है मानो इनके लिए तो ट्रैफिक का कोई रूल्स ही नहीं है. कहीं भी अचानक ये रिक्शा तेज करते हैं तो कभी बिल्कुल स्लो. इनके आगे-पीछे चलने वाले वाहन चालक को इनसे दूर रहने में भी भलाई समझते हैं. अचानक कहीं भी ब्रेक मारकर खड़े हो जाते हैं. बाजार परिसरों और चौराहों पर इनके भी ठिये लगने लगे हैं. सवारी रिक्शा में माल ढोने का काम किया जा रहा है. ट्रैफिक पुलिस और आरटीओ विभाग के कर्णधार आंख बंद कर बैठे हुए हैं.