नागपुर
Published: May 22, 2022 02:19 AM ISTRTMNU Examगुणवत्ता की विवि को परवाह नहीं, ऑफलाइन में ऑनलाइन जैसे पटर्न का औचित्य ही क्या
नागपुर. आरटीएम नागपुर विवि ने ग्रीष्म सत्र परीक्षाएं ऑफलाइन लेने की घोषणा तो की लेकिन पैटर्न बिल्कुल ऑनलाइन परीक्षा जैसे रखा है. इससे पहले छात्र मोबाइल और लैपटॉप पर परीक्षा देते थे अब अपने कॉलेज में जाकर बहुप्रश्न पद्धति वाले प्रश्नों का उत्तर देंगे. परीक्षा के पैटर्न से पिछले महीनों से तैयारी कर रहे छात्रों को झटका लगा है. साथ ही विवि की कार्यप्रणाली और कार्यक्षमता पर सवाल उठने लगे हैं. शिक्षा क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों का मानना है कि जब पुराने पैटर्न पर ही परीक्षा लेनी थी तो निर्णय लेने में इतना वक्त लगाने की जरूरत ही नहीं थी.
विवि ने ऑफलाइन परीक्षा लेने के साथ ही पैटर्न भी घोषित कर दिया है. परीक्षाएं 9 जून से आरंभ होने वाली है. ग्रीष्म सत्र की परीक्षाएं जुलाई-अगस्त तक चलेगी. माना जा रहा है कि ऑनलाइन जैसा पैटर्न रखने की मुख्य वजह समय पर परिणाम घोषित करना है. इस पैटर्न में उत्तर पत्रिकाओं की मूल्यांकन में अधिक वक्त नहीं लगेगा लेकिन पिछले महीनों से लिखित परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों को झटका लगा है. छात्रों का कहना है कि लिखित परीक्षा होने से उनकी बुद्धिमत्ता का आकलन होता लेकिन विवि ने ऑनलाइन की तर्ज पर परीक्षा के निर्णय से उन्हें निराश किया है.
लिखित परीक्षा से बुद्धिमत्ता का होता आकलन
विशेषज्ञों का मानना है कि ऑफलाइन का मतबल ही लिखित परीक्षा होती है. जब स्टेट और सीबीएसई बोर्ड के छात्र 3 घंटे की लिखित परीक्षा दे सकते हैं तो फिर विश्वविद्यालय के छात्रों को क्या दिक्कतें थी. वैसे भी कॉलेज में क्लासेस सामान्य हुये 3 महीने से अधिक समय बीत गया है. इस तरह के पैटर्न से परीक्षा लेने से भले ही अधिकाधिक छात्र उत्तीर्ण हो जाये लेकिन भविष्य में रोजगार के संबंध में उन्हें दिक्कतें आ सकती हैं. बताया जाता है कि विवि द्वारा लिखित परीक्षा के संबंध में योग्य तैयारी का अभाव होने की वजह से बहुप्रश्न पद्धति को चुना गया है. यदि लिखित परीक्षा होती तो पेपर सेट करने, माडरेशन करने और बाद में मूल्यांकन करने में काफी वक्त लगता. जबकि विवि ने पहले से तैयारी नहीं की थी. परीक्षा की तिथि देरी से घोषित की गई. इस हालत में मौजूदा पैटर्न के अलावा अन्य किसी विकल्प पर विचार ही नहीं किया जा सकता था.
विवि जिस तरह से ऑफलाइन परीक्षा ले रही है वह महज दिखावा है. एमकेसीएल अपनी मर्जी की एजेंसी है, साथ ही उसे समय पर परिणाम घोषित करने में भी दिक्कतें आती. इसी वजह से एमसीक्यू प्रश्नों के पैटर्न को अपनाया गया. पिछले 75 दिनों में एमकेसीएल ने अनेक परीक्षाओं के परिणाम घोषित नहीं कर सकी. इस पैटर्न में छात्रों का हित नहीं है. यह एमकेसीएल को बचाने क प्रयास है.
– एड. मनमोहन बाजपेजी, सीनेट सदस्य
ऑनलाइन की तरह ऑफलाइन परीक्षा लेकर यूनिवर्सिटी छात्रों को न केवल बेवकूफ बना रही है बल्कि भविष्य से खिड़वाड़ कर रही है. इसमें गुणवत्ता कहां रह जाएगी. जब यही निर्णय लेना था तो पहले भी हो सकता था. इतनी देर लगाने से यूनिवर्सिटी की कार्यक्षमता और कार्यप्रणाली उजागर हो जाती है. इस फैसले का विरोध करते हैं.
-प्रशांत डेकाटे, सीनेट सदस्य