नागपुर

Published: Sep 24, 2021 03:50 AM IST

Wasankar Scamविनय वासनकर को सुको से राहत, निचली अदालत की शर्तों के आधार पर जमानत

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

नागपुर. वासनकर वेल्थ मैनेजमेंट कम्पनी की ओर से की गई धोखाधड़ी उजागर होने के बाद निवेशकों की ओर से अंबाझरी थाने में शिकायत दर्ज कराई गई. पहले भी जमानत की याचिका ठुकराए जाने के बावजूद चौथी बार कम्पनी के डायरेक्टर विनय वासनकर ने हाई कोर्ट में जमानत के लिए याचिका दायर की. इसे भी ठुकराए जाने के बाद सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खठखटाया गया जहां सुनवाई के बाद याचिकाकर्ता लगभग 7 वर्षों से जेल में होने का हवाला देते हुए सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश एस. अब्दुल नजीर और न्यायाधीश कृष्ण मुरारी ने निचली अदालत की शर्तों के आधार पर जमानत देने के आदेश जारी किए. याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता शेखर नाफडे और अधि. देवेन चौहान ने पैरवी की. 

सरकारी पक्ष ने किया विरोध

सुको में सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से पैरवी कर रहे अधि. राहुल चिटणीस ने जमानत अर्जी का विरोध किया किंतु अदालत ने कहा कि पूरे मामले को देखते हुए वह जमानत देने के पक्ष में है. हाई कोर्ट में जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान अधि. चौहान ने कहा था कि हाई कोर्ट ने गत समय 6 माह के भीतर सुनवाई खत्म करने के आदेश जिला सत्र न्यायालय की विशेष अदालत को दिया था. आलम यह है कि उसके बाद से अब तक सुनवाई की केवल खानापूर्ति हो रही है.

सरकारी पक्ष की ओर से निचली अदालत में 22 बार सुनवाई स्थगित करने की मांग की गई है जिससे लगातार सुनवाई टलती रही है. सुनवाई में हो रही देरी के कारण अभियुक्त गत 7 वर्षों से जेल में है. सरकारी पक्ष ने बताया गया कि कोरोना महामारी की विपदा के कारण और निचली अदालत में सरकारी पक्ष रखने वाले सरकारी वकील कोरोना पॉजिटिव आने से सुनवाई पर असर पड़ा. इसके अलावा इसमें 22 आरोपी हैं जिनके लिए अलग-अलग वकील खड़े होते हैं. प्रत्येक वकील गवाहों के बयान दर्ज कराता है. एक गवाह के बयान दर्ज करने में 8-8 घंटे का समय लगता है जिससे याचिकाकर्ता द्वारा लगाया गया आरोप पूरी तरह निराधार है.

50,000 पन्नों की चार्जशीट

हाई कोर्ट का मानना था कि क्या सरकारी वकील पॉजिटिव आने से दूसरा कोई सरकारी वकील पैरवी नहीं सकता है? जिस पर सरकारी पक्ष ने बताया कि इस मामले को लेकर जांच एजेंसी ने 50,000 पन्नों की चार्जशीट दायर की है. निचली अदालत में सरकारी पक्ष रखने वाले वकील का इस पर अध्ययन है, जबकि दूसरे वकील को इसकी भलीभांति जानकारी नहीं है. हालांकि कुछ समय दूसरे सरकारी वकील ने भी पैरवी की किंतु कुछ ही समय तक सुनवाई टाली गई है. इसके अलावा 2 आरोपी अभी भी फरार हैं. अत: जमानत नहीं दी जा सकती है.