नागपुर

Published: Aug 04, 2022 03:03 AM IST

POP IdolsPOP मूर्तियों से पर्यावरण नुकसान पर क्या उपाय, HC ने सभी पक्षों से 12 अगस्त तक मांगा सुझाव

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
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नागपुर. पीओपी मूर्तियों के कारण होनेवाले प्रदूषण तथा इस संदर्भ में ग्रीन ट्रिब्यूनल के अलावा केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से जारी दिशा निर्देशों के बावजूद पालन नहीं होने से बढ़ते प्रदूषण को लेकर हाई कोर्ट की ओर से स्वयं संज्ञान लिया गया. याचिका पर सुनवाई के दौरान अदालत ने पीओपी मूर्तियों तथा सजावट के लिए उपयोग में लाए जाने वाले ऑयल पेंट आदि से पर्यावरण के होनेवाले नुकसान पर उपाय सुझाने का आदेश दोनों पक्षों को दिया था. बुधवार को सुनवाई के बाद न्यायाधीश अतुल चांदुरकर और न्यायाधीश उर्मिला जोशी ने अब 12 अगस्त तक सुझाव देने के लिए सुनवाई स्थगित कर दी. अदालत मित्र के रूप में अधि. श्रीरंग भांडारकर और मनपा की ओर से अधि. जैमीनी कासट ने पैरवी की.

सरकार के पास ठोस नीति नहीं

गत सुनवाई के दौरान अदालत ने आदेश जारी कर कहा कि पीओपी को लेकर राज्य सरकार के पास नीति नहीं है. जबकि पीओपी मूर्तियों और उस पर लगे जहरीले रंगों के कारण विसर्जन के बाद पर्यावरण को नुकसान होता जा रहा है. इस तरह से परोक्ष रूप से सार्वजनिक स्वास्थ्य पर भी इसका गहरा असर पड़ने से इनकार नहीं किया जा सकता है. पशुओं के लिए भी यह खतरा बन चुका है. वर्तमान में यह मामला काफी गंभीर होता जा रहा है. अत: फिर एक बार नीति निर्धारण के लिए न्यायिक आदेश जारी करने का समय आ गया है. न्यायिक आदेश जारी किए जाने को लंबा समय बीत गया है. यहां तक कि अब पुन: गणेशोत्सव आ गया है. अत: अतिशीघ्र प्रभाव से कुछ उपायों को लेकर कदम उठाना जरूरी है. 

जलापूर्ति वाले जलाशय में घुल रहा जहर

अदालत मित्र का मानना था कि त्योहारों में पीओपी मूर्तियों के विसर्जन से भारी मात्रा में प्रदूषण हो रहा है. आलम यह है कि मूर्तियों का जलाशयों में विसर्जन होने से पेय जलापूर्ति वाले जलाशय में जहर घुल रहा है. वर्तमान में प्रदूषण का खतरा बढ़ गया है. अधि. भांडारकर ने कहा कि पीओपी में केमिकल्स होते हैं. विसर्जन के बाद केमिकल्स के चलते और सिंथेटिक पेंट के कारण पानी जहरीला हो जाता है.

12 मई 2020 को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण मंडल ने इस संदर्भ में दिशा-निर्देश जारी किए थे. जिसमें पीओपी मूर्तियों पर पूरी तरह से पाबंदी लगाई गई लेकिन राज्यभर की विभिन्न शहरों और गांवों तथा वहां की स्थानीय इकाईयों ने इसे लागू नहीं किया. कुछ महानगरपालिकाओं की ओर से पूरी तरह पाबंदी लगाई गई है लेकिन कुछ महानगरपालिकाओं ने इसका पूरी तरह पालन नहीं किया. जहां केवल गणेश की मूर्तियों पर पाबंदी लगाई गई. जबकि अन्य मूर्तियों को लेकर रवैया ढीला रहा है.