नासिक

Published: Mar 31, 2023 12:11 PM IST

Kalaram Templeसंभाजी राजे की पत्नी का सनसनीखेज आरोप, "नासिक के कालाराम मंदिर में महंत ने वेदोक्त मंत्र का जाप करने से रोका"

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

नासिक: कल पूरे देशभर में बड़ी धूम धाम के साथ रामनवमी का त्योहार मनाया गया। इस खास मौके पर छत्रपति संभाजी राजे (Chhatrapati Sambhaji Raje) की पत्नी संयोगिता राजे (Sanyogeeta Raje) ने नासिक (Nashik) के कालाराम मंदिर (Kalaram Temple) का दौरा किया। लेकिन, इस मंदिर में जाने के बाद संयोगिता राजे ने आरोप लगाया है कि महंत ने उन्हें वेदोक्त मंत्रों के जाप पर रोका है।

संयोगिता राजे  छत्रपति  (Sanyogeeta Raje) ने अपने इंस्टाग्राम पर इस बारे में एक पोस्ट लिखा है। उस पोस्ट में उन्होंने अपना अनुभव लिखा है। साथ ही नासिक में महंतों ने आरोप लगाया है कि उन्होंने उन्हें वेदोक्त मंत्र का जाप नहीं करने दिया। इस पोस्ट के बाद अब एक नया विवाद खड़ा हो गया है।

संयोगिताराजे छत्रपति ने अपने इंस्टाग्राम पोस्ट में मंदिर की 2 तस्वीरें शेयर की है। वहीं, उन्होंने इन तस्वीरों के कैप्शन में लिखा, ‘हे श्री राम, अपने को सर्वज्ञ समझने वाले, लोगों में भेद पैदा करने वाले, ईश्वर के नाम पर केवल स्वार्थ साधने वालों को सद्बुद्धि दो… यही हमारी प्रार्थना है, यही हमारी विनती है, कि मनुष्य मनुष्य को मनुष्य समझे… हम सब भगवान के बच्चे हैं… और बच्चों को अपने माता-पिता से मिलने के लिए किसी की इजाजत की क्या जरूरत? राजर्षि छत्रपति शाहू महाराज ने इसी विचार को ध्यान में रखकर अनेक क्रांतिकारी निर्णय लिए थे।

यह उनकी बौद्धिक विरासत को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी और उन्हें प्राप्त शक्ति के कारण ही परसो नासिक के कालाराम  मंदिर में महामृत्युंजय मंत्र का जाप पूरा कर पाई। नासिक के कालाराम मंदिर के तथाकथित महंतों ने मेरी पूजा के लिए पौराणिक मंत्रों का जाप करने की कोशिश की। कोल्हापुर के छत्रपति परिवार की विरासत की वजह से मैंने इस बात का विरोध किया। उन्होंने कई कारण बताकर मुझे यह बताने की कोशिश की कि कैसे वेदोक्त मंत्र पर उनका कोई अधिकार नहीं है। अंत में मैंने पूछा कि जिन मंदिरों में आप आज भी नियम लागू कर रहे हैं, उन्हें किसने बचाया? छत्रपति ने बचा लिया! तब आप छत्रपति को पढ़ाने की हिम्मत नहीं करते। फिर भी उन्होंने सवाल किया कि मैंने महामृत्युंजय मंत्र का जाप क्यों किया… इसके बाद मैंने उन्हें कहा भगवान के पुत्र, हमारे भगवान से मिलने और उनकी स्तुति करने के लिए आपके हस्तक्षेप की कोई आवश्यकता नहीं है। उसके बाद मैंने वहां राम रक्षा भी कहा। इस घटना ने मेरे मन में एक सवाल खड़ा किया कि सौ साल में यह मानसिकता क्यों नहीं बदली? फिर भी राजर्षि छत्रपति शाहू महाराज द्वारा व्यक्त किए गए विचारों को गहराई तक ले जाना है… अभी बहुत दूर जाना है… अभी बहुत दूर जाना है… हे श्री राम, इसके लिए शक्ति दो और सबको ज्ञान दो!’