नाशिक

Published: Aug 13, 2020 10:24 PM IST

अस्तित्व केंद्र के अध्यादेश से कृषि उपज मंडी का अस्तित्व खतरे में

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

साक्री. कृषि उपज मंडियों के अस्तित्व पर ही सवालिया निशान लगानेवाला अध्यादेश हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा जारी किया गया है. जिसके तहत कृषि उपज नियंत्रण मुक्त होगी, जिसकी खरीद-फरोख्त पर कोई शुल्क नहीं लगाया जा सकता है. जिसके चलते राज्य में मौजूद कृषि उपज मंडियों के 7 हजार कर्मचारियों का भविष्य अधर में लटक गया है. इसके खिलाफ लामबंद होकर आंदोलन करने की कोशिश भी की जा रही है.

केंद्र और राज्य सरकारों की उदासीनता

चूंकि कृषि उपज मंडियां कृषि उपज की खरीद-फ़रोख्त पर लगाए जानेवाले शुल्क पर ही चलती है. मंडियों के कर्मचारियों में केन्द्र द्वारा लागू किए इस नए अध्यादेश के प्रति खासा रोष है.विगत कुछ वर्षों से कृषि उपज मंडियों में काम करनेवाले कर्मचारियों के अपर्याप्त और अनियमित वेतन को लेकर उनके संगठन ने मांग की थी, कि उक्त सभी को सरकारी सेवा में शामिल किया जाए.लेकिन ना केंद्र ना ही राज्य सरकार इस मांग पर कर्मचारियों को आश्वासन देना चाहती है. कर्मचारी चाहते हैं कि सरकार मंडियों में कार्यरत कर्मचारियों के वेतन  के लिए अनुदान राशि मंजूर करें. लेकिन सरकारों ने अभी इस पर ध्यान नहीं दिया है.

आढ़त से मिलने वाला राजस्व समाप्त

केंद्र सरकार ने जून में ‘सिद्धांत को अपनाकर देशभर में कृषि उपज जिंसों को नियंत्रण मुक्त करार दिया है. जिसकी वजह से उक्त जिंसों के व्यापार से मिलनेवाला आढ़त के राजस्व का झरना सूख गया है. बाजार समितियों का काम ही खत्म हो गया है. उन पर निर्भर कर्मचारियों के भी बेरोजगार होने की स्थिति पैदा हो गई है.

केंद्र के आदेश का पालन करने का नोटिस जारी 

विगत हफ्ते राज्य के विपणन विभाग के सेक्रेटरी के. जी. वलवी ने विपणन के ही संचालक को केंद्र के आदेश के पालन करने की नोटिस जारी कर दी है. कर्मचारी हुए हलाकान उक्त संकट से बेरोजगारी के कगार पर खड़े कृषि उपज मंडियों के कर्मचारी हलाकान है. केंद्र से मदद की गुहार लगा रहे है. अगर समस्या का हल नहीं निकलता है तो सरकार के खिलाफ आंदोलन की तैयारी करने पर संगठन में चर्चा जोरों पर है.