पुणे

Published: Nov 24, 2020 05:55 PM IST

कमी ब्लड बैंकों में खून की कमी

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
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पुणे. कोरोना के डर की वजह से रक्तदाताओं ने रक्तदान से मुंह फेर रखा है. रक्तदान संयोजकों को  ब्लडबैंक से रिस्पांस नहीं मिल रहा है. इस वजह से न केवल पुणे, बल्कि राज्य के ब्लड बैंकों में खून की कमी महसूस की जा रही है.

राज्य के ब्लड बैंकों में रक्त की कमी होने से मरीजों के तय ऑपरेशन आगे बढ़ाना पड़ रहा है, जबकि तुरंत ऑपरेशन की जरुरत वाले मामले में रक्त का प्रबंध करना मुश्किल हो रहा है.राज्य में कोरोना का सीधा असर रक्त संकलन पर हो रहा है.

ससून में एक भी रक्तदाता नहीं आ रहे

पुणे के ससून हॉस्पिटल के ओपीडी में रक्तदान की व्यवस्था की गई है.मगर दिन भर में वहां एक भी रक्तदाता नहीं आ रहे हैं. रक्तदान करने की बार बार अपील की जा रही है, लेकिन डॉक्टरों का कहना है कि कोई तवज्जो नहीं मिल रही है. थैलेसेमिया के मरीज को नियमित रूप से रक्त की जरुरत होती है. पुणे में रक्त की कमी पैदा होने की वजह से रक्त की लिए काफी प्रयास करना पड़ रहा है. कुछ मरीजों के परिजनों को रक्त के लिए भागदौड़ करनी पड़ रही है. इसकी वजह से रक्त लेने की प्रक्रिया 2-3 दिन आगे पीछे हो रही है. इसकी जानकारी थैलेसेमिया सोसाइटी के सदस्य जतिन सेजपाल ने दी.

रक्त की कमी से ऑपरेशन नहीं हो पा रहे  

केईएम के ब्लड बैंक के प्रमुख डॉ. आनंद चाफेकर ने बताया कि कुछ ऑपरेशन होने है, लेकिन रक्त नहीं मिलने की वजह से उसे आगे बढ़ाना पड़ रहा है. कुछ ऑपरेशन में मरीजों के परिजनों को संबंधित ग्रुप का ब्लड की व्यवस्था करने की विनती की जा  रही है. जनकल्याण के कार्यकारी निदेशक डॉ. अतुल कुलकर्णी ने बताया कि कोरोना की वजह से कॉलेज बंद है. आईटी कंपनियां खुल गई है, लेकिन इनमें से भी अधिकांश लोग घरों से काम कर रहे है. औद्योगिक कारखानों में रक्तदान शिविर नहीं होता है.इन सबका असर रक्त संकलन पर हो रहा है.ब्लड बैंक में ब्लड की कमी है.

कुछ ऑपरेशन होने हैं, लेकिन रक्त नहीं मिलने की वजह से उसे आगे बढ़ाना पड़ रहा है. कुछ ऑपरेशन में मरीजों के परिजनों को संबंधित ग्रुप के ब्लड की व्यवस्था करने की विनती की जा रही है.

-डॉ. आनंद चाफेकर, ब्लड बैंक प्रमुख, केईएम हॉस्पिटल