पुणे

Published: Sep 19, 2022 07:49 PM IST

PMP Busesपुणे में हर दिन सड़कों पर 55 बसों का ब्रेकडाउन

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

पुणे: पुणे महानगर परिवहन महामंडल (PMP) की हर दिन औसत 50 से 55 बसें (Buses)सड़क पर चलते चलते ब्रेकडाउन (Breakdown) हो रही है। बंद पड़ने वाली बसों में अधिकांश 75 फीसदी ठेकेदारों के बस है। पीएमपी के काफिले में ठेकेदारों के अधिक बस है। इन बसों में ब्रेकडाउन की संख्या अधिक होने से कई फेरियां रद्द करनी पड़ रही है। इसका आर्थिक नुकसान पीएमपी को झेलनी पड़ रही है। 

ऐसे में पीएमपी से करोड़ों का बस किराया लेने वाले ठेकेदारों द्वारा इसकी देखभाल और बसों की मरमम्त पर ध्यान नहीं दिया जाता है क्या? यह सवाल खड़ा हो रहा है।  

1600 से 1650 बसों से दी जाती है सेवा

पुणे और पिंपरी चिंचवड़ शहर में पीएमपी द्वारा सार्वजनिक ट्रैफिक सेवा उपलब्ध कराई जाती है। पीएमपी की कुछ बसें पीएमपी की सीमा में चलती है। पीएमपी की तरफ से इन भागों में साधारणता 1,600 से 1,650 बसों के जरिए यात्री सेवा दी जाती है। इनमें से 800 बस पीएमपी का है, जबकि 800 बसें ठेकेदारों की है। इन सभी बसों के जरिए हर दिन दस लाख लोगों को सफर कराया जाता है, लेकिन पिछले कुछ महीने से पीएमपी की बसें चलते-चलते सड़कों पर बंद पड़ने की घटनाएं बढ़ गई है। इसे देखते हुए ब्रेकडाउन की समीक्षा करने पर चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं।

ब्रेकडाउन के मुख्य मार्ग

वारजे-कोंढवा, वारजे-पुणे स्टेशन, पुणे स्टेशन-कोंढवा, भोसरी-पुणे स्टेशन, स्वारगेट-पुणे स्टेशन

हर दिन साढ़े तीन हजार फेरिया रद्द

पीएमपी की तरफ से हर दिन ट्रैफिक की योजना बनाई जाती है। इसके तहत बसों की हर दिन 22 हजार 800 फेरियां निश्चित की जाती है। इनमें से प्रत्यक्ष रुप से 19 हजार फेरियां ही होती हैं, जबकि 3,500 से 3,800 फेरिया ट्रैफिक जाम, ब्रेकडाउन आदि की वजह से रद्द करनी पड़ती है। ब्रेकडाउन की घटना से तय फेरियों को पूरा करना संभव नहीं हो सकता है।

जुलाई में ठेकेदार को 16 लाख का दंड

जुलाई महीने में एक हजार 318 बसों का ब्रेकडाउन हुआ था। पीएमपी ने ठेकेदारों से लिए गए बस के ब्रेकडाउन बढ़ने पर ठेकेदारों से 16 लाख 63 हजार का दंड वसूल किया है। ठेकेदारों के बसों को हर दिन औसत 200 किलोमीटर का सफर तय करना आवश्यक है, लेकिन उनके द्वारा यह दूरी तय नहीं किए जाने की वजह से पीएमपी का नुकसान हो रहा है। इसकी परेशानी यात्रियों को झेलनी पड़ रही है।