पुणे
Published: May 05, 2023 08:26 PM ISTIndrayani Riverइंद्रायणी नदी को प्रदूषण मुक्त करने के लिए 5वें दिन भी जारी है अनशन
पिंपरी: कुछ ही दिनों में आषाढ़ी एकादशी पालकी की रस्म आ गई है। इसी पृष्ठभूमि में अलंकापुरी में वारकरों की चहल-पहल शुरू हो गई है। दूसरी ओर इंद्रायणी नदी बेसिन में गंदगी का साम्राज्य फैल गया हैं। इंद्रायणी नदी (Indrayani River) का पानी अत्यधिक प्रदूषित हो गया हैं। वारकरी इस प्रदूषित पानी में स्नान करते हैं। साथ ही इंद्रायणी नदी पवित्र होने के कारण कई भक्त इस नदी का रसायन युक्त पानी पीते देखे जा सकते हैं। यहां श्रद्धालुओं के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। प्रशासन भी इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है। अत: अलंकापुरी में इन्द्रायणी को जैसे काले पानी की सजा मिली हो। इंद्रायणी नदी को प्रदूषण मुक्त (Pollution Free) करने के लिए इंद्रायणी सेवा फाउंडेशन (Indrayani Seva Foundation) की ओर से एक मई से अनशन शुरू किया गया है। अनशनकारियों ने कहा है कि जब तक इंद्रायणी नदी प्रदूषण से मुक्त नहीं होगी तब तक अनशन जारी रहेगा।
इंद्रायणी का पानी काफी प्रदूषित है। अन्य कोई विकल्प न होने के कारण श्रद्धालुओं को इसी जल में स्नान करना पड़ता है। इसके अलावा निश्चित समय पर संत ज्ञानेश्वर महाराज की समाधि के मुखौटे का भी इंद्रायणी जल से अभिषेक किया जाता है। प्रदूषित पानी से श्रद्धालुओं की भावनाएं आहत हो रही हैं। आलंदी देवस्थान समिति ने पिंपरी-चिंचवड़ महानगरपालिका, नदी में सीवेज बहा रहे गांवों, राज्य सरकार, केंद्र सरकार को इंद्रायणी प्रदूषण कम करने के लिए पत्र भी लिखा है। बावजूद संबंधितों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। अनुमान है कि इस वर्ष आषाढ़ी पर्व के दौरान लाखों श्रद्धालु चार से पांच दिनों तक आलंदी में रुकेंगे। उस समय उन्हें इंद्रायणी नदी में स्नान करना होता है।
काफी प्रदूषित हो चुका है नदी का पानी
हालांकि पिछले कुछ सालों में पिंपरी-चिंचवड़ महानगरपालिका की फैक्ट्रियों के केमिकल मिले पानी से इंद्रायणी का पानी काफी हद तक प्रदूषित हो चुका हैं। गांवों और शहरों के कुछ स्थानों से बिना किसी शोधन के सीधे नदी में बहाए जाने की तस्वीर भी सामने आ चुकी है। इससे कर्मियों को काफी परेशानी होगी। जब तक इंद्रायणी का जल प्रदूषण मुक्त नहीं हो जाता, तब तक आलंदी नगर परिषद को इंद्रायणी घाट पर ‘इंद्रायणी का पानी नहीं पीना चाहिए’ का साइन बोर्ड लगाना होगा। बहरहाल प्रदूषण मुक्ति के लिए शुरू किए गए अनशन की सरकार और प्रशासन कब सुध लेगा, यह दिलचस्प होगा।